जाकी रही भावना जैसी | Hindi Inspirational Story

जाकी रही भावना जैसी | Hindi Inspirational Story
जाकी रही भावना जैसी | Hindi Inspirational Story
जाकी रही भावना जैसी | Hindi Inspirational Story
        Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। भगवान बुद्ध एक दिन कहीं प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने इन शब्दों के साथ अपना प्रवचन खत्म किया, जागो, समय हाथ से निकलता जा रहा है। सभा विसर्जित होने पर वह अपने शिष्य आनंद के साथ बाहर निकलने लगे। अभी वह बिहार के मुख्य द्वार तक पहुंचे ही थे कि एक किनारे खड़े हो गए।       दरसल प्रवचन सुनने आए लोग बाहर निकल रहे थे, इसलिए भीड़-सी हो गई थी अचानक भीड़ में से एक महिला निकलकर बुद्ध के पास आई। वह कहने लगी, तथागत, मैं एक नर्तकी हूं। आज नगर सेठ के घर पर मेरा कार्यक्रम पहले से तय था और मैं भूल चुकी थी। आपका धन्यवाद कि मुझे याद दिलाया।

थोड़ी देर बाद एक डाकू ने अकेले में उनका धन्यवाद यह कहकर: किया कि आपसे झूठ नहीं बोलूंगा। आपने बिल्कुल सही समय पर मुझे अपने काम पर जाने की याद दिलाई, आज डाका डालने बहुत दूर निकलना है। उसके बाद धीरे-धीरे चलता हुआ एक वृद्ध उनके पास आकर कहने लगा, मैं जिंदगी भर दुनियादारी के पीछे भागता रहा। लेकिन आज आपकी बातों से मेरी आंखें खुल गई हैं।

अब मैं पैसा और परिवार के पीछे भागने के बजाय ईश्वर की आराधना में ही अपना ध्यान लगाऊंगा। बुद्ध ने आनंद से कहा, देखो, प्रवचन मैंने एक ही दिया, लेकिन उसका हर किसी ने अलग-अलग मतलब निकाला। जिसका नजरिया जैसा होता है,वह चीजों को उसी तरह देखता है।

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