राकेश, दादी और गेहूं की बोरियां | Hindi Inspirational Story

राकेश, दादी और गेहूं की बोरियां | Hindi Inspirational Story
राकेश, दादी और गेहूं की बोरियां | Hindi Inspirational Story
राकेश, दादी और गेहूं की बोरियां | Hindi Inspirational Story

एक युवक की कथा, जिसे उसकी दादी ने जीवन को खुशहाल बनाने का अनूठा उपाय सुझाया।

Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। राकेश बहुत मेहनती लड़का था। उसके क्लास के सभी बच्चे ट्यूशन पढ़ते थे, लेकिन ट्यूशन न पढ़ने पर भी राकेश के बहुत अच्छे नंबर आते थे। वह सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि खेल-कूद व अन्य गतिविधियों में भी काफी तेज था।

लेकिन दसवीं की बोर्ड परीक्षा में उसे बहुत कम अंक मिले। उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि यह कैसे हुआ। वह रोते हुए घर पहुंचा। घर पर उसकी दादी खेत से लाए गए गेहूं को बोरियों में डाल रही थीं।

जब उन्होंने राकेश को रोते हुए देखा, तो पूछा, क्या बात हो गई, बेटा? तुम रो क्यों रहे हो? राकेश ने बड़ी। मायूसी के साथ दादी को बताया कि बोर्ड परीक्षा में उसे कम अंक मिले हैं। दादी ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, लेकिन मेरे लिए तो तुम हमेशा अव्वल ही रहोगे। अच्छा बताओ, यहां गेहूं की कितनी बोरियां हैं। राकेश ने बोरियां गिनी और बोला, दस।

लेकिन इससे यह थोड़े ही पता चलता है कि मैं पढ़ने में अच्छा हूँ! दादी बोलीं, यहां पर दस बोरियां हैं, जिनमें चालीस-चालीस किलो गेहूं भरा हुआ है। यानी सारा मिलाकर चार सौ किलो गेहूं हुआ। कल्पना करो कि अब इस चार सौ किलो गेहूं को तुम्हें बाजार में बेचना है, जिसे तुम छोटी-छोटी बोरियों में भरकर बाजार ले जा रहे हो।

लेकिन रास्ते में कोई दस किलो गेहूं की गठरी चुराकर भागने लगता है। क्या तुम बाकी का गेहूं छोड़कर उसके पीछे जाने लगोगे ? या फिर उसे जाने दोगे, और सतर्क रहोगे कि आगे कोई ऐसा न कर पाए। राकेश बोला,स्वभाविक है कि मैं सतर्क रहूंगा कि आगे कोई ऐसा न कर पाए। दादी बोलीं, गेहूं की अलग-अलग बोरियों की तरह हमारी जिंदगी का भी अलग-अलग चरण होते हैं। किसी एक चरण में से अगर कुछ पल खराब भी हो जाएं, तो भी बचे हुए पल हमारे पास ही रहते हैं।

जिंदकी का कोई अनुभव एक हिस्सा भर होता है, उसे नियति नहीं मानना चाहिए।

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