लक्ष्य क्या है? | What is the goal?

लक्ष्य क्या है? | What is the goal?
लक्ष्य क्या है? | What is the goal?
लक्ष्य क्या है? | What is the goal?

💕Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। अगर आप लोगों से ज़िंदगी का कोई एक बड़ा मक़सद बताने को कहें तो वे कहेगे “मैं सफल होना चाहता हूँ, ख़ुश रहना चाहता हूँ, अच्छा जीवन गुज़ारना चाहता हूँ” और यहीं पर रुक जाएँगे। ये सभी कोरे सपने हैं, इनमें से कोई भी लक्ष्य साफ़ नहीं है।लोग अकसर इच्छा या सपने को लक्ष्य समझने की भूल करते हैं। सपने और इच्छाएँ सिर्फ़ चाहत हैं। चाहतें कमज़ोर होती हैं। लक्ष्य क्या है?, लक्ष्य केसा होना चाहिए?, संतंतुलित लक्ष्य कैसे बनाये?,कैसे पता चले कि लक्ष्य निरर्थक है? और ज़्यादातर लोग अपने लक्ष्य क्यों नहीं बनाते?  इस Post में बताया जा रहा है :-

प्राचीन भारत में एक ऋषि अपने शिष्यों को तीरंदाशी की कला सिखा रहे थे। उन्होंने लक्ष्य के रूप में एक लकड़ी की चिड़िया रखी, और अपने शिष्यों से उस चिड़िया की आँख पर निशाना लगाने को कहा। उन्होंने पहले शिष्य से पूछा, “तुम्हें क्या दिख रहा है?” शिष्य ने कहा, “मैं पेड़, टहनियाँ, पत्ते, आकाश, चिड़िया और उसकी आँख देख रहा हूँ।” ऋषि ने उस शिष्य को इंतज़ार करने को कहा। तब उन्होंने दूसरे शिष्य से वही सवाल किया, तो दूसरे शिष्य ने जवाब दिया, “मुझे सिर्फ़ चिड़िया की आँख दिखाई दे रही है।” तब ऋषि ने कहा, “बहुत अच्छा, अब तीर चलाओ।” तीर सीधा जाकर चिड़िया की आँख में लगा।

चाहतों में मज़बूती तब आती है, जब वे इन बातों की बुनियाद पर टिकी होती हैं

  •  दिशा (Direction)
  • समर्पण (Dedication)
  • दृढ़निश्चय (Determination)
  • अनुशासन (Discipline)
  • समय-सीमा (Deadlines)

यही वे बाते हैं, जो इच्छा और लक्ष्य में अंतर करती हैं। लक्ष्य वे सपने हैं, जिनके साथ समय-सीमा और कार्य-योजना जुड़ी होती हैं।

महान मस्तिष्क उद्देश्य से भरे होते हैं, और अन्य लोगों के पास केवल इच्छाएँ होती हैं।

– वाशिंगटन इरविंग

लक्ष्य (SMART) होने चाहिए 

S – specific (स्पष्ट) — मिसाल के तौर पर, “मैं वज़न घटाना चाहता हूँ”, यह सिर्फ़ एक इच्छा है। यह लक्ष्य तब बनता है, जब हम यह तय कर लेते हैं, “मैं 90 दिन में दस पाउंड वज़न घटाऊँगा।”

M – measurable (मापा जा सके) — जिसकी सही माप की जा सके। अगर हम माप नहीं सकते, तो हम इसे हासिल भी नहीं कर सकते। मापना ही वह रास्ता है, जिससे हम अपनी तरक़्की पर नज़र रख सकते हैं।

A – achievable (हासिल करने के क़ाबिल) — हासिल करने के क़ाबिल होने से मतलब है कि यह चुनौती भरा और मुश्किल तो हो, लेकिन नामुमकिन न हो, क्योंकि असंभव लक्ष्य हमें निराश ही करेगा।

R – realistic (वास्तविक) — एक इंसान यदि 30 दिन में 50 पाउंड वज़न घटाना चाहे, तो यह लक्ष्य बिल्कुल अवास्तविक है।

T – time-bound (समयबद्ध) — काम के शुरू और अंत की एक निश्चित समय-सीमा होनी चाहिए।

लक्ष्य संतंतुलित होने चाहिए (Goals Must Be Balanced)

हमारी ज़िंदगी एक पहिए की तरह है जिसमें छह तीलियाँ लगी होती हैं।
1. पारिवारिक (Family) — हमारे प्रियजन ही हमारे जीने और जीविका कमाने का मक़सद हैं।2. आर्थिक (Financial) — हमारा कैरियर और वे चीज़ें; जिन्हें पैसों से ख़रीदा जा सकता है।

3. शारीरिक (Physical) — हमारी सेहत, जिसके बग़ैर किसी चीज़ का कोई मायने नहीं है।

4. मानसिक (Mental) — हमारा ज्ञान और हमारी बुद्धि।

5. सामाजिक (Social) — हर व्यक्ति और संगठन की कुछ सामाजिक ज़िम्मेदारियाँ हैं, जिनको पूरा न किए जाने पर समाज टूटने लगता है।

6. आध्यात्मिक (Spiritual) — हमारे जीवन मूल्य नैतिकता और चरित्र को दिर्शाते हैं।

इनमें से कोई भी तीली अपनी जगह से खिसक जाए, तो हमारे जीवन का संतुलन डगमगा जाता है। थोड़ा समय निकालकर सोचिए, अगर इन छह में से कोई एक तीली न रहे तो, जीवन कैसा होगा?

निरर्थक लक्ष्य (MEANINGLESS GOALS)

किसान का एक कुत्ता सड़क के किनारे बैठकर आने वाली गाड़ियों का इंतज़ार करता रहता था। जैसे ही कोई गाड़ी आती, वह भौंकता हुआ उसके पीछे दौड़ता। एक दिन उसके पड़ोसी ने उस किसान से पूछा, “क्या तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम्हारा कुत्ता कभी किसी गाड़ी को पकड़ पाएगा?” उस किसान ने जवाब दिया, “सवाल यह नहीं है कि वह किसी गाड़ी को पकड़ पाएगा, बल्कि यह है कि अगर पकड़ पाएगा तो वह क्या करेगा?” बहुत-से लोग उस कुत्ते की तरह निरर्थक (meaningless) लक्ष्यों के पीछे भागते रहते हैं।

ज़्यादातर लोग अपने लक्ष्य क्यों नहीं बनाते? (Why Don’t More People Set Goals?)

लोगों द्वारा लक्ष्य तय न किए जाने की कई वज़हें होती हैं, जैसे कि —

1.निराशावादी नज़रिया (Pessimistic attitude) – संभावनाओं की बजाए हमेशा रास्ते की बाधाओं को देखना।

2.असफलता का डर (Fear of failure) – यह सोच कि, “अगर मैं नहीं कर सका तो क्या होगा?”

3.सफलता का आतंक (Fear of success) – ख़ुद को कम करके आँकना

4.अभिलाषा की कमी (Lack of ambition) – एक मछुवारा था जो जब भी कोई बड़ी मछली पकड़ता तो उसे वापिस नदी में फेंक देता था, और सिर्फ़ छोटी मछलियों को अपने पास रहने देता। उसकी इस अजीब हरक़त को देखने वाले एक आदमी ने उससे पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रहा है? इस पर उस मछुवारे ने जवाब दिया, “मेरी कड़ाही बहुत छोटी है।” बहुत-से लोग जीवन में सफलता इसलिए नहीं प्राप्त कर पाते कि वे उस मछुवारे की तरह छोटी कड़ाही ही लेकर घूमते हैं। यही बद दिमाग़ी है।

5.अस्वीकार किए जाने का डर (Fear of rejection) – इस बात की चिंता कि अगर मैं सफल नहीं हो पाया, जो लोग क्या कहेंगे?

6.टालमटोल (Procrastination) – “कभी-न-कभी तो मैं अपना लक्ष्य तय करूँगा।” इस सोच में महत्त्वाकांक्षा की कमी होती है।

7.घटिया दर्जे का आत्मसम्मान (Low self-esteem) – इंसान अपनी अंदरूनी प्रेरणा से काम नहीं करता, और उसके जीवन में प्रेरणा का अभाव होता है।

8.लक्ष्य का महत्त्व न समझना (Ignorance of the importance of goals) – किसी ने उन्हें इसके बारे में सिखाया नहीं, और उन लोगों ने कभी लक्ष्य के महत्त्व को समझा ही नहीं।

9.लक्ष्य तय करने का तरीका न पता होना (Lack of knowledge about goal-setting) – लोग लक्ष्य तय करने के तरीक़ों को नहीं जानते। उन्हें हर क़दम के लिए एक गाइड ;हनपकमद्ध की जरू़रत होती है, ताकि वे एक बंधे-बंधाये ढर्रे पर चल सकें।

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