दुनिया का सबसे महान सेल्समैन | The Greatest Salesman in the World By Og Mandino Book Summary In Hindi
दुनिया का सबसे महान सेल्समैन | The Greatest Salesman in the World in Hindi By Og Mandino Book Summary In Hindi |
💖Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। दोस्तों इस पोस्ट में 10 ताड़पत्र (Scroll) दिए जा रहे है जो आपको महान सेल्समैन बनने में मदद करेंगे तो पढ़ते रहिये। बहुत समय पहले की बात है सर्दियों का मौसम था , पामीरा के पाथरोस का विशाल व्यापारिक कारवा आराम कर रहा था। पाथरोस दुनिया का महान सेल्समैन था। हाफिद पाथरोस के मवेशियों की देखभाल करता था। हाफिद को अपना काम पसंद नहीं था और वह व्योपारी बनना चाहता था। पाथरोस ने हाफिद को समझाया कि व्योपारी का काम कठिन है लेकिन हाफिद अपनी बात पर डता रहा और कहा “मैंने आपके मुँह से यह कई बार सुना है कि किसी और बिजनेस में अमीर बनने की इतनी संभावना नहीं है, जितनी कि सेल्समैनशिप में इसमें गरीबी से अमीरी का सफर चुटकियों में तय किया जा सकता है।” और “मेरी नजर में गरीबी का मतलब है योग्यता या महत्वाकांक्षा की कमी और में जानता हूँ कि मुझ में न तो योग्यता की कमी है,न ही महत्वाकांक्षा की।”
यह सुनकर पाथरोस ने कहा तुम्हें अब भी यह सिद्ध करना है कि तुममें शब्दों के अलावा भी कुछ दम है, क्योंकि शब्द सिर्फ हवा होते हैं।’ पाथरोस ने हाफिद को एक बेहतरीन वस्त्र दिया जिसे बेथलेहम नाम की जगह पर बेचने के लिए कहा, वहा बहुत गरीब लोग रहते थे और पाथरोस ने कहा मुझे इस वस्त्र का एक चादी का सिक्का चाहिए। यह तुम पर है कि तुम इसे कितने में बेचते हो ।
बेथलेहम में चार दिन बीत गए जिस वस्त्र को लेकर वह करवा से खुशी-खुशी चला था वह अब भी उसके खच्चर पर लदा था, शंकायें उसके मन को विचलित करने लगीं और उसके मन में ये सवाल उठने लेक :-
- लोग मेरी पूरी बात क्यों नहीं सुनते ?
- मैं किस तरह लोगों का ध्यान आकर्षित करूँ ?
- मेरे पाँच शब्द कहने से पहले ही लोग दरवाजा बंद क्यों कर देते हैं ?
- लोग-बाग मेरी बातों में दिलचस्पी क्यों नहीं लेते और थोडी देर में ही क्यों चल देते हैं।
- क्या इस शहर में हर आदमी गरीब है ?
- में उनकी इस बात का क्या जवाब दूं कि माल तो उन्हें बहुत पसंद है, परतु इसे खरीदने के लिये उनके पास पैसे नहीं हैं ?
- इतने सारे लोग मुझसे यह क्यों कहते हैं कि मैं बाद में किसी और समय अपना माल बेचने आऊँ ?
- मुझसे एक वस्त्र नहीं बिक पा रहा है, दूसरे लोग इतना सारा सामान किस तरह बेच लेते हैं ?
- जब भी मैं किसी बंद दरवाजे के पास जाता हूँ तो मुझे इतना डर क्यो लगता है ?
- मैं अपने मन से इस डर को कैसे निकालूँ ?
- कहीं ऐसा तो नहीं कि दूसरे सेल्समैनों की तुलना में मेरे सामान की कीमत ज़्यादा हो?
उसने अपनी असफलता पर अफ़सोस जाहिर करते हुये कहा कल में इस वस्त्र को जरूर बेचू गा ,कल जल्दी सुबह बेचना शुरू करुँगा और हर आने जाने वालों से बात करूगा और कुछ ही समय में चांदी के सिक्के के साथ पाथरोस के कारवां की और रवाना हो जाऊगा।
फिर वह गुफा की तरफ चल दिया जहां उसका खच्चर था । हाफिद ने देखा कि गुफा में एक दाढ़ी वाला आदमी और एक युवा महिला और उनका नवजात शिशु सर्दी में काप रहे है। यह देखकर हाफिद के भीतर अजीब सा एहसास हुआ। फिर हाफिद ने अपने कीमती लाल वस्त्र को खोला और सोये हुए बच्चे के चारों तरफ़ आहिस्ता से लपेट दिया। उसके ऊपर आसमान में एक चमकदार सितारा चमक रहा था। हाफिद ने अब तक जितने सितारे देखे थे। इस सितारे की चमक उन सभी सितारों से ज्यादा थी। वह पाथरोस के कारवां की ओर चल दिया।
हाफिद का खच्चर बहुत धीमी चाल से चल रहा था। हाफिद का सिर नीचे था इसलिये उसने यह नहीं देखा कि वह चमकता हुआ सितारा उसे रास्ता दिखा रहा था। हाफिद पाथरोस के कारवां पंहुचा ही था तभी पाथरोस आया और आश्चर्य के भाव से पूछा ,
“क्या तुम सीधे बेथलेहम से आ रहे हो?”
“हाँ, मालिक।” (हाफिद ने कहा)
“क्या तुम्हें इस बात से डर नहीं लगा कि एक सितारा तुम्हारा पीछा कर रहा था ?”
“मैंने देखा ही नहीं, मालिक।” (हाफिद ने कहा)
“देखा ही नहीं ? दो घंटे पहले मैंने इस सितारे को बेथलेहम के ऊपर उगते हुये देखा था, तब से मैं इस जगह से हिला भी नहीं। मैंने इतना रंगीन और चमकदार सितारा अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा। फिर मेरे देखते ही देखते यह आसमान में चलने लगा और हमारे कारवाँ की तरफ़ आने लगा। अब यह बिलकुल तुम्हारे सिर के ऊपर है और भगवान की कसम, अब यह बिल्कुल भी नहीं बढ़ रहा है।”
पाथरोस ने जब देखा कि खच्चर पर वस्त्र नहीं है तो उसने हाफिद से पूछा मुझे बताओ कि तुम ने केसे वस्त्र बेचा। हाफिद ने बेथलेहम में जो हुआ बो बता दिया। पाथरोस ने कहा मेरे बच्चे, “इस यात्रा से तुम्हें ज्यादा लाभ नहीं हुआ।”,”परंतु मुझे इससे बहुत लाभ हुआ है। तुम्हारे पीछे आने वाले सितारे ने मुझे ऐसे अंधेपन से मुक्ति दिला दी है जिसके बारे में मैं तुम्हें अभी कुछ नहीं बता सकता। जब हम पामीरा पहुँच जायेंगे तो मैं तुम्हें विस्तार से पूरी बात बताऊँगा।
कारवाँ के पामीरा लौटने के कुछ दिन बाद हाफिद जब अस्तबल में अपनी घास की खटिया पर सो रहा था, तो उसे पाथरोस का बुलावा आया। पाथरोस बीमार था और कमजोर हो गया था। पाथरोस ने हाफिद से कहा “मेरे बच्चे, तुम्हें अपनी महत्वाकांक्षाओं के बारे में फिर से सोचने के लिये कुछ दिनों का वक़्त मिला था। तुमने क्या
सोचा? क्या तुम अब भी महान सेल्समैन बनना चाहते हो?”
हाफिद ने कहा “हाँ, मालिक।”
पाथरोस ने हाफिद से इस बिस्तर के नीचे रखे छोटे संदूक को बाहर निकालो को कहा और बताया कि “कई साल पहले मैं मवेशी पालक से भी गया-गुजरा था। तब मैंने पूर्वी देश के एक यात्री को दो लुटेरों से बचाया था। वह मुझे इनाम देना चाहता था। मेरे मना करने पर भी वह नहीं माना। चूँकि मेरे पास न कोई परिवार था, न ही धन-दौलत, इसलिये उसने मुझसे आग्रह किया कि मैं उसके साथ उसके घर चलूँ जहाँ उसने मुझे अपने परिवार में शामिल कर लिया।
“एक दिन जब मैं अपने नये जीवन का आदी हो गया तो उसने मुझे यह संदूक दिखाया। इसके भीतर चमड़े के दस ताड़पत्र थे, जिसमें से हर एक पर नंबर डला हुआ था। पहले ताड़पत्र में ज्ञान का रहस्य छुपा हुआ था। बाकी ताड़पत्रों में वे रहस्य और सिद्धांत थे जो सेल्समैनशिप में सफलता हासिल करने के लिये आवश्यक है। अगले साल मुझे हर रोज़ इन ताड़पत्रों के अनमोल शब्दों को रटाया गया और मैंने हरताड़पत्र पर लिखे शब्द पूरी तरह रट लिए। उसमें लिखे शब्द मेरे जीवन का हिस्सा बन गये, मेरे सोचने का तरीका बन गये, मेरी आदत बन गये।”
परंतु चमड़े के यह ताड़पत्र मैं न तो किसी को दे सकता था, न ही इनके सिद्धांत किसी को बता सकता था जब तक कि मुझे एक विशेष संकेत न दिख जाये जो मुझे बता दे कि यह ताड़पत्र मुझे किसके हवाले करना है।”
आख़िरकार मुझे वह आदमी मिल ही गया जिसे मैं यह संदूक दे सकूँ। अजीब बात है कि जैसे ही मुझे यह पता चला कि मुझे योग्य उत्तराधिकारी मिल गया, मेरे जीवन की ऊर्जा धीरे-धीरे कम होने लगी। अब मैं मौत के कगार पर हूँ परंतु मेरी लंबी खोज ख़त्म हो चुकी है और अब मैं इस संसार से विदा ले सकता हूँ।”
जब तुम इन ताड़पत्रों के सिद्धांतों को जीवन में उतारोगे तो तुम इतने अमीर बन जाओगे जिसका तुम सपने में भी अंदाजा नहीं लगा सकते। मेरी शर्त यह है कि तुम अपनी आधी कमाई जरूरतमंदों और बदनसीबों में बाँट दोगे। इसमें किसी तरह की कमी नहीं होना चाहिये।मंजूर?”
“हाँ, मालिक।” (हाफिद ने कहा)
और अब सबसे महत्वपूर्ण शर्त। इन ताड़पत्रों या इनमें लिखे हुये सिद्धांतों को तुम न तो किसी को बताओगे, न ही इनका जिक्र करोगे। एक दिन कोई आदमी आयेगा जो तुम्हें कोई संकेत देगा जैसे तुम्हारे सितारे और परोपकार के कार्य से मझे मिला था। जब यह होगा तो तुम इस संकेत को पहचान लोगे, चाहे सामने वाले आदमी को यह पता ही नहीं हो कि उसे इसके लिये चुना गया है। जब तुम्हारा दिल तुम्हें बता दे कि तुम सही हो, तो तुम उसे यह संदूक दे दोगे और जब तुम यह काम कर दोगे तो उस आदमी पर कोई शर्त लागू नहीं होगी जिस तरह तुम पर या मुझ पर लागू हुई थी। बरसों पहले जो लिफाफा मुझे दिया गया था, उसमें यह लिखा था कि इन ताड़पत्रों को हासिल करने वाला तीसरा आदमी इस संदेश को पूरी दुनिया में जिसे चाहे उसे सुना सकता है। क्या तुम इस तीसरी शर्त को मानते हो?’
“मानता हूँ।” (हाफिद ने कहा)
ताड़पत्रों का संदूक लेकर हाफिद अपने खच्चर के साथ दमिश्क शहर पंहुचा। सफर की थकान के मारे उसे पता ही नहीं चला कि वह कब सो गया। सुबह हाफिद ने संदूक खोला और ताड़पत्र की तरफ देखा। इस पर शीर्षक लिखा था, पहला ताड़पत्र और उसने पढ़ना शुरू किया…..
पहला ताड़पत्र
आज मैं एक नयी जिंदगी शुरू करूँगा।
आज मैं अपनी पुरानी चमड़ी को उतार फेकूँगा जिस पर असफलता की चोट के निशान हैं, और नाकामयाबी के घाव हैं। आज मेरा नया जन्म होगा और मेरा जन्म एक अंगूर के बाग में होगा जहाँ सबके लिये फल होंगे। मैंने जो कैरियर चुना है उसमें सफलता के बहुत अवसर हैं, परंतु इसमें दुख और निराशा भी कम नहीं है। इस राह में इतने लोग असफल हुये हैं कि अगर उन्हें एक के ऊपर एक रखा जाये तो इतना ऊँचा ढेर लग जायेगा कि दुनिया के पिरामिड भी छोटे दिखने लगेंगे।
असफल और सफल लोगों में केवल आदतों का फर्क होता है। अच्छी आदतें हर तरह की सफलता की कुंजी हैं। बुरी आदतें असफलता का दरवाज़ा खोल देती हैं। इसलिये मैं जिस पहले नियम का पालन करूँगा वह नियम बाकी सारे नियमों के ऊपर आता है। मैं अच्छी आदतें डालूगा और उनका गुलाम बन जाऊँगा। आज मेरी पुरानी चमड़ी धूल की तरह हो गयी है। मैं मनुष्यों में सबसे ऊँचा हो जाऊँगा और वे मुझे पहचान नहीं पायेंगे क्योंकि आज मैं एक नया इन्सान बन गया हूँ और मेरा नया जीवन शुरू हुआ है।
दूसरा ताड़पत्र
मैं अपने दिल में प्रेम भरकर इस दिन की शुरूआत करुँगा।
हर काम में सफलता का यह सबसे महान रहस्य है। आपके कवच में छेद हो सकता है और आप मर सकते हैं। परंतु प्रेम की अदृश्य शक्ति लोगों के दिल के दरवाजे खोल सकती है और मैं जब तक इस कला को नहीं सीख लेता तब तक मैं बाज़ार में चिल्ला रहे साधारण फेरी वाले से ज़्यादा कुछ नहीं बन सकता। मैं प्रेम को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाऊँगा और इसके बाद कोई भी मेरा मुकाबला नहीं कर पायेगा।
मैंने अपने खून से सारी नफ़रत को निकाल फेंका है क्योंकि मेरे पास नफरत करने के लिये समय नहीं है, केवल प्रेम करने के लिये समय है। मैं इसी क्षण अपना पहला कदम उठाऊँगा जो सफल इंसान बनने के लिये बेहद ज़रूरी है। प्रेम के सहारे मैं अपनी बिक्री को सौ गुना बढ़ा लूँगा और महान सेल्समैन बन जाऊँगा। अगर मुझमें कोई और गुण न भी हो, तो भी मैं केवल प्रेम के सहारे ही सफल हो सकता हूँ। इसके बिना मैं अवश्य असफल हो जाऊँगा चाहे मेरे पास दुनिया का बाकी सारा ज्ञान और काबिलियत हो।
तीसरा ताड़पत्र
मैं तब तक जुटा रहुँगा जब तक कि मैं सफल न हो जाऊँ।
में इस ससार में हारने के लिए नहीं आया हू, न ही मेरी शिराओं में असफलता प्रवाहित हो रही है। मैं कोई भेड़ नहीं हूँ जिसे गडरिया हाँके। मैं एक शेर हूँ और मैं भेड़ों के झुंड की तरह बात करने, चलने और सोने से इंकार करता हूँ। मुझे यह नहीं पता कि अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिये मुझे कितना फासला तय करना है। हो सकता है कि मुझे हज़ारवें कदम पर भी असफलता का सामना करना पड़े, पर हो सकता है कि सफलता सड़क के अगले मोड़ पर छपी हुई हो।
मैं उस बारिश की बूंद की तरह बनूँगा जो पहाड़ को धो देती है, उस चींटी की तरह जो शेर को चट कर जाती है, उस सितारे की तरह जो धरती को रोशन करता है, उस कारीगर की तरह जो पिरामिड बनाता है। मैं अपने महल को एक बार में एक-एक ईंट करके बनाऊँगा क्योंकि मैं जानता हूँ कि अगर छोटे-छोटे प्रयास लगातार किये जायें तो इन्सान निश्चित रूप से सफल होता है।
जब तक मेरे शरीर में सांस है, तब तक मैं अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुटा रहूँगा क्योंकि अब मैं सफलता के महानतम रहस्य को जान गया हूँ : अगर मैं लंबे समय तक जुटा रहूँगा तो मैं निश्चित रूप से सफल हो जाऊँगा।
चौथा ताड़पत्र
मैं प्रकृति का सबसे महान चमत्कार हूँ।
दुनिया शुरू होने के बाद से आज तक कोई भी इंसान ऐसा नहीं हुआ जिसके पास मेरे जैसा दिमाग, दिल, आँखें, कान, हाथ, बाल और मुँह हो। न तो आज से पहले कोई मेरे जैसा हुआ है, न आज कोई ऐसा है और न ही आगे आने वाले कल में कोई ऐसा होगा जो बिलकुल मेरी तरह चलता, बोलता और सोचता होगा। सभी मनुष्य मेरे भाई हैं परंतु मैं उन सबसे अलग हूँ। मैं विधाता की अद्भुत कृति हूँ।
मेरी काबिलियत, मेरा मस्तिष्क, मेरा हृदय और मेरा शरीर – अगर मैं उनका सही उपयोग नहीं करूँगा तो यह सभी रुक जायेंगे, सड़ जायेंगे और मर जायेंगे। मुझमें असीमित क्षमता है। गुज़रे हुये कल की उपलब्धियों से मैं आज सौ गुना सफलता हासिल कर सकता हूँ और मैं आज से यही करूँगा।
पाँचवाँ ताड़पत्र
मैं यह दिन इस तरह जियूँगा जैसे यह मेरा आख़िरीदिन हो।
मैं कल के दुर्भाग्यों, कल की पराजयों, कल की निराशाओं के बारे में अफसोस करने में एक भी क्षण बर्बाद नहीं करूँगा क्योंकि मैं बुरे के साथ अच्छे समय को भी बाहर क्यों फेंक दूँ? कल हमेशा के लिये दफन हो चुका है और में उसके बारे में जरा भी नहीं सोचूगा।
मैं सुबह का स्वागत इतना खुश होकर करूँगा जिस तरह वह केदी करता है जिसकी मौत की सजा माफ कर दी गई हो। मुझे यह अतिरिक्त दिन जीने के लिये क्यों दिया गया है जबकि मुझसे बेहतर कई लोग इस दुनिया से उठा लिये गये हैं? क्या मुझे अपना लक्ष्य हासिल करना है? क्या यह मरे लिये एक और अवसर है ताकि मैं वह बन सकू जो बनने की क्षमता मुंझमें है ? क्या प्रकृति का कोई लक्ष्य है? क्या आज के दिन में कल से बेहतर हो सकता हूँ?
मैं पहले से ज्यादा मेहनत करूँगा और अपनी मांसपेशियों से इतनी मेहनत करवाऊँगा कि वे दया की भीख माँगने लगें और में इसके बाद भी कोशिश करता रहूँगा। मैं पहले से ज्यादा लोगों को अपना सामान बेचूंगा। मैं पहले से ज्यादा धन कमाऊँगा। आज का एक-एक मिनट मेरे लिये गुज़रे हुये कल के कई घंटों से ज्यादा फायदेमंद होगा। मेरा आखिरी दिन मेरा सर्वश्रेष्ठ दिन होना चाहिए ।
छठवाँ ताड़पत्र
आज मैं अपनी भावनाओं को काबू में रखुँगा।
- अगर मैं निराश हूँ तो मैं गाऊँगा।
- अगर मैं दुखी हूँ तो मैं हसुंगा।
- अगर मैं बीमार हूँ तो मैं दूना काम करूँगा।
- अगर मुझे डर लगता है तो मैं तेजी से आगे बढ़ जाऊँगा।
- अगर मैं खुद को हीन समझता हूँ तो मैं नये वस्त्र पहनूँगा।
- अगर मैं अनिश्चय की स्थिति में हूँ तो मैं अपनी आवाज़ बढ़ा दूगा।
- अगर मैं गरीबी अनुभव करता हूँ तो मैं आगे आने वाली दौलत के बारे में सोचना।
- अगर मैं खुद को अयोग्य समझता हूँ तो मैं अपनी पिछली सफलता को याद करूँगा।
- अगर मैं खुद को महत्वहीन समझता हूँ तो मैं अपने लक्ष्यों को याद करूँगा।
- आज मैं अपनी भावनाओं को काबू में रखुँगा।
सातवा ताड़पत्र
मैं दुनिया पर हँसूगा।
मनुष्य के अलावा कोई प्राणी हँस नहीं सकता। पेड़ों को जब घाव लगते हैं तो उनमें से खून निकल सकता है। जानवर दर्द और भूख के मारे कराह सकते हैं परंतु केवल मुझे ही हँसने का उपहार दिया गया है। आगे से मैं हँसने की आदत डालूँगा।
अगर मैं किसी आदमी या काम से चिड जाता हूं, अगर मेरी आँखों में आँसू आ जाते हैं, अगर मेरे मुँह से गाली निकल जाती है, तो फिर मैं दुनिया पर कैसे हँस सकता हूँ? मैं उन चार शब्दों को बोलने की आदत डालूँगा जब तक कि इन्हें बोलना मेरी आदत न बन जाये। जब भी मेरी मनोदशा खराब होने वाली होगी, यह शब्द तत्काल मेरे दिमाग में आ जायेंगे। सदियों से सिखाये जा रहे यह शब्द मुझे हर मुश्किल के पार लगा देंगे और मेरी जिंदगी को सहज बनाये रखेंगे। यह चार शब्द हैं : यह भी गुज़र जायेगा।
आठवाँ ताड़पत्र
आज मैं अपने जीवन का मूल्य सौ गुना बढ़ाऊँगा।
- शहतूत की पत्ती इन्सान की प्रतिभा के स्पर्श से रेशम बन जाती है।
- मिट्टी का मैदान इन्सान की प्रतिभा के स्पर्श से महल बन जाता है।
- साइप्रस का पेड़ इन्सान की प्रतिभा के स्पर्श से तीर्थस्थान बन जाता है।
- भेड़ के बाल इन्सान की प्रतिभा के स्पर्श से राजा की पोशाक बन जाते हैं।
अगर यह पत्तियों, मिट्टी, लकड़ी और बालों के लिये संभव है कि वे इन्सान के स्पर्श से अपने मूल्य को सौ गुना, या हज़ार गुना बढ़ा ले तो क्या मैं अपने साथ ऐसा नहीं कर सकता? और मैं ऐसा किस तरह करूँगा? सबसे पहले तो मैं दिन, सप्ताह, महीने, साल और जीवन भर के अपने लक्ष्य निर्धारित करूँगा। जिस तरह गेहूँ के बीज के पनपने और बढ़ने के लिये बारिश का होना जरूरी है, उसी तरह मेरे जीवन के सफल होने के लिये लक्ष्यों का होना जरूरी है। अपने लक्ष्य निर्धारित करते समय मैं अतीत के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को याद करूँगा और इसे सौ गुना कर दूँगा।
नवाँ ताड़पत्र
मैं आज ही, अभी काम शुरू करूँगा
मेरे सपने बेकार हैं, मेरी योजना कचरा हैं, मेरे लक्ष्य असंभव हैं। इन सबका कोई मूल्य नहीं है, जब तक कि मैं काम न करूं। मैं आज ही, अभी काम शुरू करूँगा।
मैं आज के कामों से नहीं बचूगा, उन्हें कल पर नहीं तलूगा क्योंकि मैं जानता हूँ कि कल कभी नहीं आता। मैं अभी काम करुगा। हो सकता है कि मेरे कामों से मुझे सुख या सफलता न मिले, परन्तु काम करना और असफल हो जाना काम न करने से हमेशा बेहतर है। वास्तव में, हो सकता है कि मुझे सुख का फल न मिले, परन्तु बिना काम के तो हर फल डाल पर ही मर जायेगा- सिर्फ इसलिये, क्योंकि मैंने हाथ बढ़ाकर उसे हासिल करने की कोशिश ही नहीं की।
सफलता इंतज़ार नहीं करेगी। अगर मैं देर लगाऊँगा वह किसी और के साथ शादी कर लेगी और मुझसे हमेशा के लिये दूर हो जायेगी। यही सही समय है। यही सही जगह है। मैं ही सही आदमी हूँ।
दसवाँ ताड़पत्र
मैं कभी भी संसार की भौतिक वस्तुओं के लिये प्रार्थना नहीं करूँगा। मैं भगवान से कुछ माँग रहा हूँ, किसी नौकर से भोजन लाने के लिये नहीं कह रहा हूँ। मैं कभी भी धन, प्रेम, अच्छा स्वास्थ्य, छोटी-मोटी जीत, यश, सफलता या सुख नहीं मानूंगा। मैं केवल मार्गदर्शन के लिये प्रार्थना करूँगा, केवल यह माँगूंगा कि मुझे इन सब चीज़ों को हासिल करने का रास्ता दिखाया जाये और मैं जानता हूँ कि मुझे अपनी हर प्रार्थना का जवाब हमेशा मिलेगा।
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