Elon Musk: How the Billionaire CEO of SpaceX and Tesla is Shaping our Future by Ashlee Vance Book Summary In Hindi

Elon Musk by Ashlee Vance Book Summary | Elon Musk Biography In Hindi
Elon Musk Biography In Hindi
Elon Musk Biography In Hindi
 
       💕Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। इस बुक में Elon Musk की biography दी गई है। इस बुक के थ्रू हमे उनकी लाइफ के स्ट्रगल, अचीवमेंट्स और गोल्स के बारे में जानने का मौका मिलता है। ये बुक काफी इंस्पिरेशनल है और उनकी लाइफ से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

मेये हेल्डीमेन (Maye Haldeman) और एरोल मस्क (Errol Musk) बचपन से ही एक दुसरे को चाहते थे। जब वे बड़े हुए तो दोनों ने शादी कर ली और उसके बाद जल्द ही Elon Musk का जन्म हुआ। Musk 28 जून, 1971 Pretoria, South Africa में पैदा हुए थे। उनके पिता एरोल मस्क एक सक्सेसफुल इंजीनियर थे वहीं माँ मेये (Maye) एक डाइटीशिएन थी। Elon के अलावा उनके दो बच्चे और थे, किम्बल और टोस्का। 

        एलन अभी सिर्फ 5 साल के ही थे जब उनकी काबिलियत दिखने लगी थी। वे घंटो किताबो में डूबे रहते। “The lord of The rings” और “The Hitchhiker’s Guide to Galaxy” उनकी पसंदीदा Books थी। Elon जब 10 साल के थे तब उन्होंने पहली बार कंप्यूटर देखा। वे इसे देखकर इतने हैरान हुए कि उन्होंने अपने पिता से अपने लिए एक कंप्यूटर खरीदने की जिद की। जब उनके पिता उनके लिए कंप्यूटर लेकर आये तो पूरे तीन दिनों में ELON ने बेसिक प्रोग्रमिंग सीख ली।
        जब Elon स्कूल जाने लगे तो वहां उन्हें कुछ अलग ही अनुभव हुए। स्कूल में उन्हें अक्सर परेशान किया जाता था। एक बार Elon सीडीयों पर बैठे कुछ खा रहे थे तब एक लडके ने उन्हें पीछे से सर पर लात मारी जिससे Elon सीडीयों से गिर पड़े। उसके बाद उस लड़के ने उन पर मुक्को की बरसात शुरू कर दी। उन्हें इतनी चोट आई कि तुरंत उन्हें hospital ले जाना पड़ा। उन्हें पूरी तरह ठीक होने में पूरा एक हफ्ता लगा और उसके बाद ही वे स्कूल जाने लायक हुए। पूरे चार सालो तक एलन उसी खौफ के साए में जीते रहे। स्कूल का वो बदमाश गेंग बेवजह ही एलन को हर वक्त परेशान किया करता था। आखिरकार उन्हें अपना स्कूल बदलना पड़ा।
        जब एलन 17 साल के हुए तो उन्होने साउथ अफ्रीका छोड़ कर जाने का मन बनाया। उन्हें लगता था कि अमेरिका में उन्हें अपने लिए बेहतर मौके मिल सकते है। साथ ही उन्हें सिलिकोन वैली भी पसंद थी। जब उनके परिवार को केनेडा की सिटीजनशिप मिली तो एलन को निकल भागने का एक मौका मिल गया था।

1994 में किम्बल और Elon ने कई रोड ट्रिप्स साथ की। उन दोनों के दिमाग में इन्टरनेट के बिजनेस का आडिया था। फिर आखिरकार मस्क सिलिकोन वैली में बतौर इंटर्न काम करने लगे। जब उन्होंने स्कूल खत्म किया तो किम्बल के साथ मिलकर उन्होंने अपनी कम्पनी स्टार्ट की Zip2. ज़िप 2 गूगल मैप्स की ही तरह का एक सॉफ्टवेयर था। ज़िप-2 ने न्यूजपेपर क्लासीफाइड एड देने शुरू किये। हालांकि कंपनी चल पड़ी और तरक्की करने लगी मगर एलन को मेनेजमेंट से निकाल दिया गया। वे अब चीफ टेक्नीकल ऑफिसर थे। ज़िप 2 का अब एक बड़ा सा ऑफिस था और कंपनी ने कोड्स की क्वालिटी बेहतर बनाने के लिए कई प्रोग्रामर्स भी रख लिए थे।  Year 1998 में $300 मिलियन की डील के साथ Zip2 सिटी-सर्च के साथ मर्ज हो गयी जो कि पहले उनकी कम्पटीटर थी। Compaq ने ज़िप 2 को 1999 में खरीदा था। Zip2 से Elon ने $22 मिलियन कमाए और 27 साल की उम्र में $ 22 मिलियन के मालिक थे। उनके पास अब एक बड़ा सा अपार्टमेंट, एक प्लेन और सपोर्ट कार थी। मस्क अपनी McLaren F1 में सिलिकोन वैली के चक्कर काटा करते।

        ये 1990 का वक्त था, लोग उन दिनों ऑनलाइन किताबे खरीदने से कतराते थे। क्योंकि कोई भी अपना क्रेडिट कार्ड नंबर इन्टरनेट पर नहीं देना चाहता था। मस्क फिर भी अपने ऑनलाइन बैंक के आइडिया पर डटे रहे। अपने इस नए प्रोजेक्ट पर उन्होंने $12 मिलियन इन्वेस्ट किये। उन्होंने इस ऑनलाइन बैंकिंग साइट का नाम X.COM रखा।  वे रिस्क लेकर अपनी जिम्मेदारी पर इतनी बड़ी रकम लगा रहे है जो फायदा भी दे सकती है या फिर कंगाल भी कर सकती है मगर X.COM ने तो बैकिंग इंडस्ट्री को बदल कर रख दिया। मस्क इस बिजनेस में सिर्फ अपने PASSION को लेकर उतरे थे। उन्हें लगता था कि बैंकर्स का तरीका बिलकुल गलत है और वे उनसे बेहतर कुछ कर सकते है। X.COM बाद में Pay Pal बना। कुछ महीनों के अन्दर ही पै-पाल को 200,000 क्लाइंट्स मिल गए। इसमें किसी को पैसे भेजने के लिए सिर्फ उसका ई-मैल एड्रेस ही काफी था। पैसे के लेन-देन का ये बड़ा आसान तरीका था जबकि Banks इसी प्रोसेस में कई दिन लगा देते थे। 2002 में Pay Pal को E-bay ने  $I5 billion में खरीदा। ये एक बहुत बड़ी थी। टैक्स काटने के बाद भी मस्क पूरे $180 मिलियन अपने पास रख सकते थे जिससे मस्क पहले से ज्यादा अमीर हो गए।
        जून 2001 में  Elon Musk और उनकी wife Justine musk सिलिकोन वैली छोड़कर लोस एंजेल्स शिफ्ट हो गए। अब वे अपने सपने स्पेस ट्रेवल और राकेट शिप्स पर ध्यान दे सकते थे। उन्होंने मार्स सोसाइटी नाम का एक ग्रुप भी ज्वाइन कर लिया था जो मार्स पर जीवन की संभावना तलाश रहा था। ट्रांसलाइफ नाम से इस ग्रुप का एक प्रोजेक्ट भी था। ये एक कैप्सूल के आकार का बनने वाला था जो अर्थ के चक्कर लागाये। और इसके क्र्यू मेम्बर चूहे बनने वाले थे। Musk ने $500,000 मार्स सोसाइटी और इसके प्रोजेक्ट के लिए दिए। उन्होंने सुझाव रखा कि ट्रांसलाइफ मिशन को मार्स तक एक्सटेंड करना चाहिए। मस्क ने एरोस्पेस पर कई किताबे पढ़ी। उन्होंने राकेटशिप को प्लान करने के लिए टेलेंटेड इंजीनियर्स को अपने साथ काम पर रखा। उन्होंने कम बजट वाले रॉकेट्स का परफोर्मेंस स्टडी किया। उस वक्त के रॉकेट्स सिर्फ रसियन बनाते थे। Boeing or Lockheed बहुत ज्यादा महंगे थे। Musk इनसे कुछ सस्ते रॉकेट्स बनाना चाहते थे जो रिसर्च और कमर्शियल इस्तेमाल के लायक हो। जून 2002 में स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलोजी बनाई गई। इसमें मस्क के साथ मार्स सोसाइटी के मेम्बर और लोस एंजेल्स के वे लोग भी जुड़े जो स्पेस एन्थ्युयास्टिक थे।
        स्पेस एक्स (Space-X) को लेकर मस्क बहुत एक्साइटेड थे। हालांकि इस दौरान उनके परिवार में एक दुखद घटना घट गयी। उनकी पत्नी जस्टिन ने एक बेटे को जन्म दिया था जिसका नाम नेवेडा एलेक्जेंडर मस्क रखा गया था वह 10 दिन के अंदर सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (sudden infant death syndrome) की बजह से  चल बसा। इस घटना से Elon और Justine को बहुत आहात पहुंची। मस्क ने अपना सारा ध्यान स्पेस एक्स के राकेट लौंच में लगा दिया। अगले 5 सालो में जस्टिन जुड़वाँ बच्चो को जन्म दिया और उसके बाद ट्रिप्लेट्स को। मस्क का कहना है कि “मै इस बात पर यकीन नहीं रखता कि मुझे बेहद दुखद घटनाओं के बारे में बात करनी चाहिए। क्योंकि ये किसी भी तरह हमारे भविष्य को नहीं सुधारती।”
        Year 2002 की बात थी। एक Talented Engineer जे.बी. स्ट्राबेल (J. B. Straubel) ने पोर्श गाडी खरीदी। उन्होंने इसे एक इलेक्ट्रिक कार में तब्दील किया। ये वो वक्त था जब क्लीन टेक्नोलोजी मूवमेंट का नामो-निशान तक नहीं था। उन्होंने अपने इस प्रोडक्ट के लिए इन्वेस्टर ढूढने शुरू किये। महीने पर महीने बीत गए मगर हर बार स्ट्राबेल रिजेक्ट होते रहे। आखिर में वे Elon Musk से मिले। मस्क को इलेक्ट्रिक कार का आईडिया काफी बढ़िया लगा। उन्होंने खुद के बनाए बेटरी और एनेर्जी स्टोरेज का विचार रखा। वे तुरंत ही स्ट्राबेल को फण्ड देने के लिए राज़ी हो गए। इस दौरान कई और लोग भी थे जो बिजनेस पार्टनर थे और इलेक्ट्रिक कार बनाना चाह रहे थे। इनमे से ही दो लोग थे मार्टिन ईबर्हार्ड (Martin Eberhard) और नार्थन केलिफोर्निया के मार्क टारपेनिंग (Marc Tarpening)।
        जुलाई 2003 उन्होंने टेस्ला मोटर्स की नींव रखी। ये कंपनी निकोलाज टेस्ला (Nicolas Tesla) के नाम पर रखी गयी थी जो इलेक्ट्रिक मोटर के इन्वेन्टर थे। वे तीनो ही अमेरिका की तेल की समस्या को खत्म करना चाहते थे। मस्क तो वैसे भी हमेशा से ही क्लीन और ससटेनेबल एनर्जी के समर्थक थे। इस तरह टेस्ला शुरू हुई और मस्क उसके चेयरमेन और सबसे बड़े शेयरहोल्डर बने। जल्द ही जे.बी. स्ट्राबल भी उनकी कंपनी में शामिल हो गए। टेस्ला मोटर्स अपने यहाँ बनने वाली हर इलेक्ट्रिक कार को ढाँचे से लेकर फाइनल तक खुद ही तैयार करना चाहते थे। मस्क और उनके इंजीनियर्स की टीम ने प्रोटोटाइप के तौर पर रोडस्टर बनाई। हालांकि इस प्रोसेस में वक्त, एफर्ट और पैसा बहुत लगता था। जब टेस्ला ने अपना अगला प्रोडक्ट तैयार किया उस वक्त मस्क दिवालिया होने की कगार पर पहुँच चुके थे।
        Elon Musk पे-पाल बनाकर पहले ही बहुत मशहूर हो चुके थे। प्रेस उनके बारे में छापना पसंद करती थी। लोग इस अजीब से नाम वाले मल्टी-मिलेनियर के बारे में ओर जानना चाहते थे। सब इस बारे में जानते थे कि मस्क ने इलेक्ट्रिक कार और स्पेसशिप पर बहुत सारा पैसा लगाया हुआ है। मशहूर सेलेब्रिटीज़ और अमीर बिजनेसमेन के साथ मस्क का उठना-बैठना था। मगर असलियत में Musk परेशानी से गुज़र रहे थे। उनकी परेशानी का सबब थी टेस्ला और स्पेस एक्स की फिन्नेंशियल हालत। इलेक्ट्रैक कार प्रोटोटाइप और राकेट लांच अटेमप्स पर उनका बेहिसाब पैसा खर्च हो रहा था। प्रेस भी उनके फेल्ड प्रोडक्ट्स के लिए उनकी जमकर खिंचाई कर रहा था। इस सबसे बढकर परेशानी थी उनकी निजी ज़िन्दगी की मुश्किलें। उनकी पत्नी जस्टिन के साथ उनका रिश्ता लगभग टूटने की कगार था। टेस्ला को अपने प्रोटोटाइप रोडस्टर को री-क्रियेट करने की ज़रुरत थी। स्पेस एक्स भी फाल्कोन 1 के लांच की तैयारी में था। दोनों प्रोज्केट्स में Musk को समय और पैसा दोनों लगाना पड़ रहा था। वे ज़्यादातर अब अपने काम में ही बीजी रहते थे और हफ्ते के सातों दिन ऑफिस में रहते थे। घर से उनक नाता लगभग टूट ही गया था। जस्टिन को लगने लगा कि वो मस्क की सिर्फ ट्राफी वाईफ बनकर रह गयी है ना कि लाइफ पार्टनर। जून 2008 में मस्क ने जस्टिन से तलाक लेने के लिए केस फ़ाइल कर दिया। जस्टिन ने अपना दुःख खुलेआम अपने ब्लॉग में व्यक्त किया। वे अपने ब्लॉग में मस्क और तलाक की प्रोसीडिंग के बारे में लिखा करती थी।
        बिल ली (Bill Lee) जो मस्क के दौस्त और एक इन्वेस्टर थे, मस्क की दिमागी हालत को लेकर फिक्रमंद थे। उन्होंने मस्क को अपने साथ लन्दन में छुट्टीयाँ बिताने के लिए इनवाईट किया। लन्दन के इस ट्रिप में Musk की मुलाकत तालुलाह रिले (Talulah Riley) से हुई जो बाद में उनकी दूसरी पत्नी बनी। स्पेस एक्स ने कई नाकामयाब राकेट लौच्स पर अब तक मिलियंस गेंवाए थे। वहीं टेस्ला ने भी प्रोटोटाइप पर बहुत खर्चा किया था। दोनों ही कंपनियां कंगाल होने वाली थी। मस्क को अपनी कीमती Mc Laren F1  बेचनी पड़ी जिसपर उन्हें बहुत नाज़ था। साल 2008 के आखिर में उन्होंने अपने इन्वेस्टर दोस्तों से स्पेस एक्स और टेस्ला को फण्ड करने की गुजारिश की। उनकी कंपनी के कुछ एम्प्लाइज ने इस मुश्किल वक्त में उनका साथ देने के लिए पैसे की पेशकश भी की। मस्क को हर हफ्ते अपने employees को सैलरी देने के लिए पाई-पाई जोडनी पड़ रही थी। इस दौरान नासा कोई कांट्रिक्टर ढूंढ रहा था जो उसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की री-सप्लाई कर सके। मस्क ने इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए एड़ी-चौटी का जोर लगा दिया ताकि ये स्पेस एक्स को मिल जाए। जहाँ तक टेस्ला की बात थी, उन्होंने और फंडिंग के लिए इन्वेस्टर से बात की। उन्होंने अपना बचा-खुचा पैसा भी इसके लिए लगा दिया और तो और सोलर सिटी के अपने कुछ स्टोक्स भी बेच डाले। किस्मत से 23 दिसम्बर, 2008 में नासा (NASA) ने खुलासा किया कि उसने अपने आईएसएस प्रोजेव्ट के लिए स्पेस एक्स को चुन लिया है। एजेंसी कुल 12 फ्लाइट्स के लिए उन्हें 16 बिलियन दे रही थी। उस वक्त मस्क किम्बल के साथ कोलोराडो में छुट्टीयां बिताने गए हुए थे। जैसे ही ट्रानजेकशन का प्रोसेस शुरू हुआ, मस्क खुशी से रो पड़े।
        अपनी जिंदगी में इतना सब कुछ झेलने के बाद उनकी मिसाईल जिसका नाम फाल्कन नाईन था स्पेस तक पहुँचने में आखिरकार कामयाब रही। ये अलग-अलग- देशो और कंपनियों के लिए सेटेलाईट लेकर स्पेस में जाता था। ये राकेट आईएसएस(International space station) को सप्लाई भी डिलीवर करता था। फाल्कन 1 के बाद से ही मस्क ने परफेक्ट राकेट शिप बनाने में काफी पैसे खर्च किये थे। सालो तक उनके इंजीनियर्स ने कोशिश की मगर हर बार फेल होते रहे। आज स्पेस एक्स महीने में एक राकेट लांच करता है। अपने लोकल और इंटरनेशनल कॉम्पीटीटर्स को पछाड़कर ये मैदान में डटा हुआ है। बाकी कंपनीज बाहर से मंगाए गए सप्लाईज़ पर निर्भर रहती है लेकिन स्पेस एक्स पूरा रोकेट खुद ही तैयार करता है। इसके अलावा एरोनोटिक्स इंडस्ट्री में उनकी राकेट कीमत भी काफी कम है। मस्क और उनके इंजीनियर्स की टीम हमेशा ही स्पेस एक्स को ओर बेहतर बनाने के नए तरीको की तलाश में रहते है। उनके बनाए राकेट री-युसेबल है। वे धरती पर लौट सकते है। इंजीनियर्स ने उन्हें ऐसा बनाया है कि वे खुद-ब-खुद वापस लांच पैड पर लौट आते है। स्पेस एक्स इतना सक्सेसफुल इसलिए है क्योंकि मस्क बहुत मेहनत करते है और छोटी से छोटी चीज़ पर भी उनका पूरा ध्यान देते है।

        टेस्ला मोटर्स ने 2012 से ही एस सीडेन (sedan) का मॉडल बाज़ार में उतार दिया था। ये लक्ज़री कार पूरी तरह से इलेक्ट्रिसिटी पर चलती है और सिंगल बैटरी रीचार्ज पर 300 miles की दूरी तय कर सकती है। इसकी रफ़्तार है 4.2 सेकंड्स में 60miles per hour. इसमें दो trunk है। आयल कारो में इस्तेमाल होने वाले इंजन और मशीनरी के बगैर मॉडल एस (model-S) लगभग बिना किसी शोर के चलती है। इसमें सिर्फ एक ही बैटरी पैक है इसके पीछले हिस्से में एक इलेक्ट्रिक मोटर लगी है। मॉडल एस बाकी लक्ज़री सीडेन गाडियों से हर मामले में आगे है। इस कार के अन्दर एक 17 इंच की टच स्क्रीन है जहाँ से ड्राइवर कार के  स्टीरियो वॉल्यूम एडजस्टिंग या एयर कंडिशन आदि को कण्ट्रोल कर सकता है। इसमें नेविगेशन और म्यूजिक स्ट्रीमिंग के लिए एक इन्टरनेट कनेक्शन भी मौजूद है। इसलिए तो मॉडल एस को जगह घेरने वाली भारी-भरकम डेशबोर्ड की ज़रुरत नहीं पड़ती। इसे चलाने वाले को किसी चाबी या इग्निशन बटन की ज़रुरत नहीं है। इसमें बैठते ही इसका सेंसर ड्राइवर का वजन डिटेक्ट कर लेता है और कार खुद ही स्टार्ट हो जाती है। इसके अलावा मॉडल एस को हाइवे के किनारे बने किसी भी सोलर पॉवर स्टेशन पर फ्री रीचार्ज किया जा सकता है। टेस्ला ने इलेक्ट्रिक कार को लगभग एक गेजेट ही बना दिया है। जैसा कि इसके पहले खरीददारों में से एक का कहना है “इसने ट्रांसपोट्रेशन को पूरी तरह बदल दिया, ये पहियों पर रखा एक कंप्यूटर है”
        राइव ब्रदर्स (Lyndon and peter rive) अपने कजन एलन मस्क के साथ साउथ अफ्रीका में पले-बड़े थे। डॉट कॉम बबल के आने से पहले उन्होंने एवरड्रीम नाम से एक सॉफ्ट वेयर कंपनी खोली थी। ये भाई अब कोई नया वेंचर ढूंढ रहे थे। मस्क ने सलाह दी कि उन्हें सोलर एनर्जी के फील्ड में कुछ करना चाहिए। राइव भाइयो ने 2006 में सोलर सिटी की शुरुवात की। सोलर पैनेल इंस्टाल करने के लिए सोलर सिटी के पास एम्प्लोयीज़ की एक टीम भी थी। इसके अलावा पैनेल्स को मंथली फिक्स रेट के हिसाब से किराए पर लिया जा सकता था। मस्क इस सोलर सिटी के सबसे बड़े शेयर होल्डर थे जिनके पास कम्पनी का 30% हिस्सा था। 6 साल बाद सोलर सिटी यू.एस की सबसे बड़ी सोलर इन्स्टालर बन गयी। घरेलु इंस्टालेशन से शुरुवात करके ये अपनी सर्विसेस अब बड़ी-बड़ी कंपनीयों को भी देते है। साल 2012 में सोलर सिटी एक पब्लिक कंपनी बन गयी और 2014 में इसकी नेट वर्थ $ 7 बिलियन तक पहुँच चुकी थी।
        तीन कंपनियों ने अलग-अलग फील्ड्स में अपनी शुरुवात बेहद मामूली तरीके से की। तब इन्हें कोई भी नहीं जानता था मगर ये मस्क की कड़ी मेहनत और लगन का ही फल था कि ये तीनो ही कंपनियां अपने-अपने फील्ड्स में बेहतरीन साबित हुई। साल 2025 तक टेस्ला की बनाई 6 गाडिया मार्किट में आ जायेंगी। आने वाले समय में सोलर सिटी एक बहुत बड़ी यूटीलिटी कंपनी बन जाएगी। एलन की दुनिया में रियलिटी और साइंस फिक्शन मिलकर एक हो गए है। एलन मस्क बाकी टेक्नोलोजी मिलेनियर से हटकर है। उनका सोच विश्वव्यापी है। मस्क कहते है “अगर हम कभी ना खत्म होने वाली वाली एनर्जी का हल ढूंढ ले और मल्टी प्लानेटेरी स्पीसीज़ बनने की राह में तरक्की कर ले। तो ये वाकई में बहुत बढ़िया बात होगी”। आज मस्क कंपनी मे हज़ारो लोग काम करते है जिसका नेट वर्थ $10 बिलियन है।
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