Rich Dad’s Cashflow Quadrant: Guide to Financial Freedom by Robert Kiyosaki Book Summary In Hindi

Rich Dad’s Cashflow Quadrant by Robert Kiyosaki Book Summary In Hindi

आप किस क्वाड्रैंट में हैं? क्या यह क्वाड्रैंट आपके लिए सही है?

Rich Dad's Cashflow Quadrant: Guide to Financial Freedom by Robert Kiyosaki Book Summary In Hindi
Rich Dad’s Cashflow Quadrant Book Summary In Hindi
        💕Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। क्याआप आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं? अगर आप वित्तीय दोराहे पर खड़े हैं तो कैशफ़्लो क्वाड्रैंट आप ही के लिए लिखी गई है। अगर आप अपने वित्तीय भविष्य को बदलना चाहते हैं और इसका नियंत्रण आज ही अपने हाथ में लेना चाहते हैं, तो यह Book इस यात्रा का नक़्शा बनाने में आपकी मदद करेगी। इस पोस्ट में चारों क्वाड्रैंटों में रहने वाले लोगों के मूलभूत अंतरों का वर्णन किया गया है। इससे आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि आप क्वाड्रैटं में आज कहाँ हैं और पाँच साल बाद कहाँ होना चाहते हैं।

1.“तुम नौकरी क्यों नहीं कर लेते?”

1985 में इस book के Author Robert और उनकी wife किम बेघर थे। वे बेरोज़गार थे। उनके पास बचत के नाम पर बहुत थोड़ा पैसा था और उनका क्रेडिट कार्ड खाली था। वे दोनों एक पुरानी सफेद टोयोटा कार में रहते थे, जिसकी सीटें पीछे झुक जाने पर बिस्तर का काम करती थीं। दो हफ्ते बाद जब Robert के एक मित्र को उनकी बुरी आर्थिक स्थिति का पता चला, तो उसने उन्हें अपने बेसमेंट में रहने के लिए Invite किया। वे दोनों वहाँ नौ महीने तक रहे। जब Robert के दोस्तों और परिवार वालों को उनकी बुरी हालत का पता चला, तो उनका पहला सवाल हमेशा यही होता था, “तुम नौकरी क्यों नहीं कर लेते?” पहले तो Robert ने उन्हें समझाने की कोशिश की, परंतु ज़्यादातर मामलों में वे उन्हें अपने कारण ठीक से समझा नहीं पाए। “जो व्यक्ति नौकरी को मूल्यवान समझता है, उसे यह समझाना कठिन होता है कि आप नौकरी क्यों नहीं करना चाहते”

1989 तक Robert और उनकी wife मिलियनेअर बन चुके थे। परंतु उनका सपना अभी पूरा नहीं हुआ था। वो अब भी सच्ची आर्थिक स्वतंत्रता (financial freedom) हासिल नहीं कर पाए थे। इसे हासिल करने के लिए उनको 1994 तक इंतज़ार करना पड़ा। तब जाकर वे ऐसी स्थिति में पहुँचे, जिसके बाद उन्हें जीवन में कभी काम करने की ज़रूरत नहीं थी।

धन कमाने के लिए धन की ज़रूरत नहीं होती

Author कहते है हमने जब शुरू किया था, तो हमारे पास धन नहीं था। इसके विपरीत हम कर्ज़ में डूबे थे। धन कमाने के लिए अच्छी औपचारिक शिक्षा की ज़रूरत भी नहीं है। हालाँकि मेरे पास कॉलेज की डिग्री थी, परंतु मैं ईमानदारी से कह सकता हूँ कि मैंने जो आर्थिक स्वतंत्रता (financial freedom) हासिल की, उसका कॉलेज में सीखी गई बातों से कोई लेना-देना नहीं था। बरसों तक पड़े गए Calculus, Spherical trigonometry, Chemistry, Physics, French और English Literature की मुझे ज़्यादा ज़रूरत नहीं पड़ी।

बहुत से सफल लोगों ने स्कूल या कॉलेज की डिग्री हासिल किए बिना पढ़ाई अधूरी छोड़ दी थी : जैसे जनरल इलेक्ट्रिक के founder थॉमस एडिसन, फ़ोर्ड मोटर कंपनी के founder हेनरी फ़ोर्ड, माइक्रोसॉफ़्ट के founder बिल गेट्स, सी.एन.एन. के founder टेड टर्नर, डेल कम्प्यूटर्स के founder माइकल डेल, एप्पल कम्प्यूटर्स के founder स्टीव जॉब्स और पोलो के founder राल्फ़ लॉरेन। पारंपरिक व्यवसायों के लिए कॉलेज की शिक्षा महत्वपूर्ण है, परंतु उन कामों के लिए नहीं, जिनसे लोगों ने प्रचुर दौलत कमाई है। उन्होंने अपने सफल व्यवसाय विकसित किए थे।

तो धन कमाने के लिए किस चीज़ की ज़रूरत होती है?

Robert का मानना है कि इसके लिए एक सपने, दृढ़ संकल्प, जल्दी सीखने की इच्छा और ईश्वर द्वारा दी गई नियामतों का उचित प्रयोग करने की योग्यता की ज़रूरत होती है और यह जानने की कि आपकी आमदनी कैशफ़्लो क्वाड्रैंट के किस हिस्से से आ रही है।

कैशफ़्लो क्वाड्रैंट क्या है?

Cashflow Quadrant
क्वाड्रैंट के अक्षरों का अर्थ :
  • ई(E) यानी कर्मचारी (employee)
  • एस(S) यानी सेल्फ़-एम्प्लॉयड (self-employed)
  • बी(B) यानी बिज़नेस मालिक (business owner)
  • आई(I) यानी निवेशक (investor)
        कैशफ़्लो क्वाड्रैंट उन विभिन्न तरीक़ों को बताता है, जिनके द्वारा आमदनी या धन उत्पन्न होता है। For Example, एक कर्मचारी नौकरी करके यानी किसी दूसरे व्यक्ति या कंपनी के लिए काम करके धन कमाता है। सेल्फ़-एम्प्लॉयड लोग ख़ुद के लिए काम करके पैसे कमाते हैं। बिज़नेस का मालिक धन प्रदान करने वाले बिज़नेस का स्वामी होता है और निवेशक अपने निवेशों से धन कमाते हैं – दूसरे शब्दों में, वे अपने धन से और अधिक धन उत्पन्न करते हैं। आगे इस पोस्ट में इसे ओर detail में बताया गया है……

आप चारों क्वाड्रैंटों से धन कमा सकते हैं

For Example,

  • एक डॉक्टर अपनी आमदनी “ई” से कमा सकता है, अगर वह कर्मचारी के रूप में किसी बड़े Hospital में नौकरी करता हो
  • यही डॉक्टर “एस” के रूप में भी धन कमा सकता है। अगर वह अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू करे।
  • यह डॉक्टर “बी” बनने का निर्णय भी ले सकता है। अगर वह किसी क्लीनिक या लेबोरेटरी का स्वामी बन जाये। वह अपने स्टाफ़ में दूसरे डॉक्टरों को रख सकता है।
  • “आई” के रूप में डॉक्टर किसी दूसरे के बिज़नेस में निवेश करके धन कमा सकता है या फिर शेयर बाज़ार, बॉन्ड मार्केट और रियल एस्टेट जैसे निवेशों से भी।

अलग-अलग पिता – पैसे के बारे में अलग-अलग विचार

मेरे उच्च शिक्षित परंतु ग़रीब डैडी हमेशा कहा करते थे,

  • “मेरी पैसे में ज़्यादा रुचि नहीं है।”
  • “मैं कभी अमीर नहीं बनूँगा।”
  • “मेरे पास इसे ख़रीदने के पैसे नहीं हैं।”
  • “निवेश करना जोखिम भरा है।”
  • “धन सब कुछ नहीं है।”
मेरे अमीर डैडी के लिए ये बातें महत्वपूर्ण थीं :
  1. अपने बच्चों के साथ रहने के लिए बहुत समय होना।
  2. परोपकार और अपनी रुचि की अन्य सेवाभावी परियोजनाओं (Service projects) में दान देने के लिए धन होना।
  3. समुदाय में नौकरियाँ और आर्थिक स्थायित्व लाना।
  4. अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए समय और धन होना।
  5. अपने परिवार के साथ दुनिया घूमने में समर्थ होना।
        अमीर डैडी कहते थे, ☝“इन चीज़ो के लिए पैसे की ज़रूरत होती है, इसीलिए पैसा मेरे लिए महत्वपूर्ण है। पैसा महत्वपूर्ण है, परंतु मैं इसके लिए काम करके अपनी ज़िंदगी बर्बाद नहीं करना चाहता।”

2.अलग-अलग क्वाड्रैंट…अलग-अलग लोग

1. “ई” (कर्मचारी)। 

         जब बात पैसे या नौकरी की आती है, तो बहुत से लोग डर के भाव से बुरी तरह आतंकित होते हैं, जो आर्थिक असुरक्षा से उत्पन्न होता है… इसलिए उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता होती है। “ई” यानी कर्मचारी अक्सर धन न होने के डर पर प्रतिक्रिया करते हुए “सुरक्षा” खोजता है।

2. “एस” (सेल्फ़-एम्प्लॉयड)। 

        ये लोग “ख़ुद अपने बॉस” बनना चाहते हैं या “अपनी मनमर्ज़ी का काम” करना चाहते हैं। Author इस समूह को “ख़ुद-काम-करने-वाला” कहता हूँ। जब पैसे की बात आती है, तो अक्सर प्रबल “एस “ यह पसंद नहीं करता कि उसकी आमदनी दूसरों पर निर्भर हो। इस क्वाड्रैंट के लोग डर के कारण सुरक्षा नहीं चाहते हैं, बल्कि स्थिति का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में लेना चाहते हैं और अपने काम को स्वतंत्रता से करना चाहते हैं। इस समूह में आपको अच्छी तरह शिक्षित “प्रोफ़ेशनल्स “ मिलेंगे, जिन्होंने स्कूल-कॉलेज में बरसों तक पढ़ाई की है, जैसे डॉक्टर, वकील और दंत चिकित्सक। “एस” समूह में वे लोग भी आते हैं, जिन्होंने पारंपरिक शिक्षा के अतिरिक्त अन्य शैक्षणिक मार्ग चुने हैं। इस समूह में कमीशन पर काम करने वाले सेल्समैन – जैसे रियल एस्टेट एजेंट – और छोटे बिज़नेस मालिक आते हैं, जैसे खेरची दुकानदार, सफ़ाईकर्मी, रेस्तराँ चलाने वाले, परामर्शदाता, थैरेपिस्ट्स, ट्रैवल एजेंट्स, कार मैकेनिक, प्लंबर, कारपेंटर, प्रवचन देने वाले, इलेक्ट्रिशियन, हेयर स्टाइलिस्ट्स और कलाकार। इस समूह का प्रिय गीत होगा “कोई भी मुझसे बेहतर काम नहीं करता,” या “मैंने इसे अपने तरीक़े से किया।”

3. “बी” (बिज़नेस मालिक)। 

        इस समूह के लोग “एस” क्वाड्रैंट के लोगों के लगभग विपरीत होते हैं। जो सच्चे “बी” होते हैं, वे “ई, एस, बी और आई” यानी चारों श्रेणियों के लोगों से घिरे रहना पसंद करते हैं। “एस” के विपरीत, जिन्हे काम सौंपना पसंद नहीं है (क्योंकि उन्हें लगता है कि दूसरा उस काम को उनसे बेहतर तरीक़े से नहीं कर सकता), सच्चा “बी” काम सौंपना पसंद करता है। “बी” का सच्चा लक्ष्य है, “उस काम को ख़ुद क्यों करो, जब आप उसे करवाने के लिए किसी को नौकरी पर रख सकते हों और वह उसे आपसे बेहतर तरीक़े से कर सकता हो?”“एस” टाइप के बिज़नेस और “बी” टाइप के बिज़नेस में अंतर


        जो लोग सच्चे “बी” होते हैं, वे अपने बिज़नेस को एक साल या इससे भी ज़्यादा समय तक छोड़कर जा सकते हैं। हो सकता है कि जब वे लौटें, तो उनका बिज़नेस पहले से ज़्यादा लाभदायक और बेहतर स्थिति में हो। परंतु सच्चे “एस” टाइप के बिज़नेस में अगर “एस” एक साल या इससे ज़्यादा समय के लिए कहीं चला जाए, तो इस बात की संभावना है कि वापस लौटने तक उसके पास बिज़नेस ही नहीं बचेगा। आसान शब्दों में, “एस” काम का स्वामी होता है, जबकि “बी” सिस्टम का स्वामी होता है। अपने सिस्टम को चलाने के लिए “बी” योग्य व्यक्तियों को नौकरी पर रखता है। दूसरे तरीक़े से कहा जाए, तो बहुत से मामलों में “एस” ख़ुद ही सिस्टम होता है। इसीलिए वह अपना काम छोड़कर नहीं जा सकता।

4. “आई” (निवेशक)। 

        निवेशक पैसे से पैसा कमाते हैं। उन्हें काम करने की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि उनका पैसा उनके लिए काम करता। “आई” क्वाड्रैंट अमीरों के खेलने का मैदान है।
        इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि लोग अपना पैसा किस क्वाड्रैंट से कमाते हैं, अगर वे अमीर बनना चाहते हैं, तो उन्हें अंतत: “आई” क्वाड्रैंट में आना ही पड़ेगा। “आई” क्वाड्रैंट में ही धन दौलत में बदलता है।

3.लोग सुरक्षा को स्वतंत्रता से ऊपर क्यों रखते हैं

मेरे दोनों डैडियों ने मुझे कॉलेज जाने और डिग्री लेने का सुझाव दिया। परंतु कॉलेज की डिग्री लेने के बाद मैं क्या करूं, इस बारे में दोनों के सुझाव अलग-अलग थे। मेरे उच्च शिक्षित डैडी लगातार सलाह देते थे : “कॉलेज जाओ, अच्छे नंबर लाओ और एक अच्छी सुरक्षित नौकरी खोज लो।”

मेरे अशिक्षित परंतु अमीर डैडी हमेशा क्वाड्रैंट के right हिस्से पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते थे : “कॉलेज जाओ, अच्छे नंबर लाओ और अपनी ख़ुद की कंपनी शुरू करो।”

उन दोनों की सलाहें अलग-अलग इसलिए थीं, क्योंकि एक डैडी नौकरी की सुरक्षा के बारे में ज़्यादा चिंता करते थे, जबकि दूसरे आर्थिक स्वतंत्रता के बारे में ज़्यादा चिंता करते थे।

लोग नौकरी की सुरक्षा क्यों चाहते हैं

        बहुत से लोग नौकरी की सुरक्षा मूलतः इस कारण चाहते हैं, क्योंकि उन्हें घर पर और स्कूल में यही सिखाया गया है। अगर आप कैशफ़्लो क्वाड्रैंट की ओर देखें, तो आप पाएँगे कि Left हिस्सा सुरक्षा द्वारा प्रेरित है और Right हिस्सा स्वतंत्रता द्वारा।

कर्ज़ के जाल में उलझना

90 प्रतिशत लोग क्वाड्रैंट के Left हिस्से में काम कर रहे हैं और इसका प्रमुख कारण यह है कि उन्होंने स्कूल में इसी हिस्से के बारे में सीखा है। स्कूल से निकलने के कुछ समय बाद ही वे कर्ज़ में डूब जाते हैं। वे कर्ज़ में इतनी गहराई तक डूब जाते हैं कि उन्हें सिर्फ़ अपना ख़र्च चलाने के लिए नौकरी या व्यवसाय की सुरक्षा को और कसकर पकड़ना पड़ता है।

धन का ज्ञान 

क्वाड्रैंट के Right हिस्से में सफलता पाने के लिए धन के ज्ञान की ज़रूरत होती है, जिसे “वित्तीय बुद्धि” कहते हैं। अमीर डैडी ने इसे इस तरह परिभाषित किया : “वित्तीय बुद्धि का इस बात से इतना संबंध नहीं है कि आप कितना धन कमाते हैं जितना इस बात से है कि आप अपने पास कितना धन रख पाते हैं, आप अपने धन से कितनी कड़ी मेहनत करवाते हैं और आप इसे कितनी पीढ़ियों तक अपने पास रख पाते हैं।”

अगर लोगों में मूलभूत वित्तीय बुद्धि नहीं है, तो अधिकांश मामलों में वे क्वाड्रैंट के Right हिस्से में नहीं टिक पाएँगे।

आपके दो सबसे बड़े ख़र्च

इतने अधिक लोगों के आर्थिक रूप से संघर्ष करने का कारण यह है कि हर बार अधिक धन कमाने के साथ वे अपने दो सबसे बड़े ख़र्च बढ़ा लेते हैं :

  1. टैक्स।
  2. कर्ज़ पर ब्याज।
        मज़े की बात यह है कि कर्ज़ में गहराई तक डूबने के लिए सरकार अक्सर टैक्स में छूट भी देती है। क्या इससे आपको ज़रा भी शक नहीं होता?

अपने बच्चों को देने के लिए सबसे बुरी सलाह

अगर आप 1930 से पहले पैदा हुए हैं, तो “स्कूल जाओ, अच्छे नंबर लाओ और सुरक्षित नौकरी खोजो” एक अच्छी सलाह थी। परंतु अगर आप 1930 के बाद पैदा हुए हैं, तो यह बुरी सलाह है। क्यों? जवाब है :

  1. टैक्स।
  2. कर्ज़।
        जो लोग “ई” क्वाड्रैंट से आमदनी कमाते हैं, उनके पास व्यावहारिक रूप से टैक्स से बचने का कोई अवसर नहीं होता। आज अमेरिका में कर्मचारी होने का अर्थ यह है कि आप सरकार के साथ 50/50 के पार्टनर हैं। इसका मतलब यह है कि सरकार अंततः कर्मचारी की 50 प्रतिशत या इससे अधिक आमदनी ले लेगी और इसका ज़्यादातर हिस्सा तो कर्मचारी को तनख़्वाह मिलने से पहले ही सरकार के पास पहुँच जाएगा।

4.तीन प्रकार के बिज़नेस सिस्टम

“बी” क्वाड्रैंट में प्रवेश करते समय यह याद रखें कि आपका लक्ष्य है सिस्टम का स्वामी बनना और उस सिस्टम में लोगों से अपने लिए काम करवाना। आप या तो यह सिस्टम ख़ुद तैयार कर सकते हैं या फिर उसे ख़रीद सकते हैं। सिस्टम को वह सेतु मानें, जो आपको कैशफ़्लो क्वाड्रैंट के Left हिस्से से Right हिस्से में सुरक्षित तरीक़े से पहुँचाता है… और यह सेतु वित्तीय स्वतंत्रता तक पहुँचाने वाला सेतु भी होता है।

आज मुख्य रूप से तीन तरह के बिज़नेस सिस्टम हैं :

  1. पारंपरिक सी-टाइप कॉरपोरेशन – जहाँ आप अपना ख़ुद का सिस्टम तैयार करते हैं।
  2. फ्रेंचाइज़ी – जहाँ आप बना-बनाया सिस्टम ख़रीदते हैं।
  3. नेटवर्क मार्केटिंग – जहाँ आप बने-बनाए सिस्टम को ख़रीदकर उसका हिस्सा बनते हैं।

ऐसे तीन तरीक़े, जो आपको तेज़ी से “बी” क्वाड्रैंट में पहुँचा सकते हैं।

1. एक मार्गदर्शक खोजें। 

        Author के अमीर डैडी उनके मार्गदर्शक थे। मार्गदर्शक (mentor) वह होता है, जो उस काम को पहले कर चुका हो… और सफलतापूर्वक कर चुका हो। परामर्शदाता न खोजें। परामर्शदाता (adviser) वह है, जो आपको बताता है कि काम कैसे करना है, हालाँकि उसने व्यक्तिगत रूप से वह काम कभी नहीं किया है। अधिकांश परामर्शदाता “एस” क्वाड्रैंट में होते हैं। दुनिया ऐसे “एस” लोगों से भरी पड़ी है, जो आपको बताने की कोशिश करते हैं कि “बी” या “आई” कैसे बना जाता है।

2. फ़्रैंचाइज़ी। 

        सिस्टम्स के बारे में सीखने का एक और तरीक़ा फ़्रैंचाइज़ी ख़रीदना है। जब आप फ़्रैंचाइज़ी ख़रीदते हैं, तो आप एक “आज़माया हुआ और सफल” संचालन तंत्र ख़रीदते हैं। ऐसे बहुत से उत्कृष्ट फ़्रैंचाइज़ी हैं। “बी” बनना सीखते समय बना-बनाया सफल सिस्टम खरीदने से एक बहुत बड़ी अनिश्चितता दूर हो जाती है। ज़्यादातर बैंक छोटे शुरुआती बिज़नेस के लिए लोन नहीं देते, परंतु फ़्रैंचाइज़ी के लिए लोन दे देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंक सिस्टम के महत्व को पहचानते हैं और यह भी कि एक अच्छे सिस्टम के साथ शुरुआत करने में जोखिम कम होता है।

3. नेटवर्क मार्केटिंग। 

        इसे मल्टीलेवल मार्केटिंग या डायरेक्ट डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम भी कहा जाता है। जब Author ने नेटवर्क मार्केटिंग पर रिसर्च की, तो उन्होंने पाया कि बहुत से लोग ईमानदारी और मेहनत से सफल नेटवर्क मार्केटिंग बिज़नेस बना रहे थे। बहुत कम प्रवेश शुल्क (लगभग 200 डॉलर के क़रीब) देकर लोग एक बने-बनाए सिस्टम को ख़रीदकर उसमें प्रवेश कर सकते हैं और तत्काल अपना बिज़नेस बनाना शुरू कर सकते हैं।
Author इस तरह की कंपनियों से जुड़ने की सलाह देते है : 
  1. जो आज़माए हुए संगठन हों, जिनका सफल रिकॉर्ड हो और जिनका डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम और भुगतान योजना बरसों से सफल हों।
  2. जिनके पास ऐसा बिज़नेस अवसर हो, जिसमें आप सफल हो सकते हों, जिसमें आप विश्वास कर सकते हों और जिसे आप दूसरों को विश्वासपूर्वक बता सकते हों।
  3. जिनके निरंतर चलने वाले, Long term educational program हों, जो इंसान के रूप में आपका विकास करें। आत्मविश्वास क्वाड्रैंट के Right हिस्से का जरुरी गुण है।
  4. जिनका सशक्त मार्गदर्शक कार्यक्रम हो। आप लीडर्स से सीखना चाहते हैं, परामर्शदाताओं से नहीं। जो लोग पहले से ही क्वाड्रैंट के Right हिस्से में लीडर्स हों और जो आपको सफल देखना चाहते हों, उन्हीं से सीखें।
  5. जिनमें ऐसे लोग हों, जिनका आप सम्मान करते हों और जिनके साथ रहने में आपको आनंद आए।

☝ यह Summary है “Rich Dad’s Cashflow Quadrant” Book की, जिसके Author है Robert Kiyosaki. यदि detail में पढ़ना चाहते है तो इस Book को यहां से खरीद सकते है 👇

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