आत्मविश्वास आपकी जीत | Atmavishwas Aapki Jeet by Swett Marden Book Summary in Hindi

Atmavishwas Aapki Jeet by Swett Marden Book Summary in Hindi
आत्मविश्वास आपकी जीत | Atmavishwas Aapki Jeet by Swett Marden Book Summary in Hindi
आत्मविश्वास आपकी जीत | Atmavishwas Aapki Jeet by Swett Marden Book Summary in Hindi

मेहनती मनुष्य की ही सब जगह पूछ है। आलसी की कहीं भी पूछ नहीं। परमेश्वर दीन का भी साथी है, मूर्ख का भी साथी है, पापी का भी साथी है; पर वह आलसी का साथी नहीं है।

💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। मनुष्य खुद अपने भाग्य का निर्माता है, भगवान नहीं! हर बुरी बात के लिए या किसी प्रकार का संकट आ जाने पर उसके लिए भगवान को दोषी ठहराना हमारी आदत बन गई है, जो एकदम गलत बात है। भगवान यानी परमात्मा तो राग और द्वेष से रहित है। वह न किसी को सुख देता है और न दुख। यह हमारे कर्म हैं जो सुख और दुख देते रहते हैं और जिनका फल हमें भोगना पड़ता है। मुनि विद्यानंद ने कहा है, “कर्म बहुत बलवान है, वही भाग्य का विधाता है। मनुष्य जैसा कर्म करता है; वैसा ही उसका भाग्य बनता है। अपनी कोशिशो, अपने कर्म और अपने द्वारा किए जाने वाले काम के द्वारा मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।”

निश्चय ही आपको कई बार अपने में आत्मविश्वास की कमी प्रतीत हुई है, अपने में दुर्बलता का अनुभव हुआ है, पर ऐसा क्यों? इस प्रश्न का उत्तर हम यहां देने का प्रयास कर रहे हैं। आपकी दुर्बलता का संबंध किसी ऐसी घटना से हो सकता है जो आपके जीवन में, जब आप बच्चे थे, घटी थी। Author के एक परिचित की कहानी कुछ इस प्रकार है- जब वो महाशय बच्चे थे, तब कभी नदी-स्नान करने गए थे। जैसे ही नदी में उतरे, उनका पैर एक गड्ढे में जा पड़ा और वो डूबते-डूबते बचे। इस घटना से उनकी माता इतनी डर गईं कि पानी के छू जाने से ही उनकी मृत्यु की आशंका करने लगीं। संभवतया इसी कारण उन्होंने अपने बच्चे को नदी, तालाब आदि से सदैव दूर रखा। यदि कभी कुएं से पानी लाने की आवश्यकता हुई तो स्वयं भरा या दूसरों से भरवाया, लेकिन अपने लड़के से यह काम न लिया। उन महाशय के संगी-साथी नदी-स्नान करने जाते रहे और तैरना सीख गए और वो महाशय अपने में तैरने की योग्यता के अभाव का तो अनुभव करते ही रहे, अपनी माता से पानी के प्रति बार-बार डराए जाने के कारण उनका डर आत्मिक दुर्बलता में परिणत हो गया। उन्हें अपने पर, अपनी योग्यता पर विश्वास नहीं रहा। उन्हें स्पष्ट दिखलाई देता कि उनके साथी उससे कहीं आगे बढ़ते जा रहे हैं, योग्य होते जा रहे हैं; जिस योग्यता को प्राप्त करने में वह अपने को लाचार पाते।

अब देखिए, बचपन में पैदा हुआ यह भाव बड़े होने पर क्या करता है। डूबते-डूबते बचने से उत्पन्न हुए इस डर को निकालने की कोई उचित व्यवस्था न हो सकी। हरेक परिस्थिति में वह डरने लगे कि कहीं वह उन्हें डुबा न दे, प्रत्येक कार्य में उन्हें गड्ढे दिखाई देते, जिनमें फिसल पड़ने की उनके मन में आशंका होती। यह सब इसलिए हुआ क्योकि मन में पानी का डर बैठ गया था, इस डर को पहले ही दूर किया जाना चाहिए था। उन्हें तैराकी के किसी अच्छे अध्यापक से पानी के संबंध के अपने पूर्व संस्कार बताकर तैराकी सीखनी चाहिए थी। अध्यापक की संरक्षकता में पानी से परिचित होकर वे अपने पानी के डर को मन से निकाल सकते थे। जिससे डर पर विजय प्राप्त होती और मन में यह भावना आने पर कि वह अपने मित्रों के समान ही तैर सकता है, उसके मन में यह बात घर करती कि वह सबके समान ही योग्य है और उसके अंतर्मन से लघुता की भावना निकल जाती और आत्मविश्वास की भावना आ जाती।

आत्मविश्वास की भावना मनुष्य के हर काम में, उसकी मददगार होती है और मनुष्य के हर एक काम इसी की नींव पर खड़े होते है। स्वेट मार्डेन की books को पढ़कर करोड़ों लोगो ने विचारों की शुद्धता, काम में निष्ठा और जीवन में उत्साह व प्रेरणा प्राप्त की है। “आत्मविश्वास आपकी जीत” Book स्वेट मार्डेन की बहुत सारी books की summary है। जिसकी summary इस पोस्ट में दी जा रही है। जिसे पढ़कर – अपनी इच्छाओ को पाने का, अपने में आत्मविश्वास पैदा करने का और जीवन में सफलता पाने का आनंद उठाइए।

1.आत्मशक्ति का रहस्य

मनुष्य का आत्मविश्वास उसके जीवन में बहुत काम आता है। जिसमें आत्मविश्वास नहीं है उसका जीवन व्यर्थ है। सच तो यह है कि आत्मविश्वास ही मनुष्य को जीवित रखता है। जब तक किसी मनुष्य में यह विश्वास न आए कि वह जिस बात के लिए कोशिश कर रहा है, वह पूरी होकर रहेगी, तब तक उसका सपना साकार नहीं हो सकता। यह विश्वास रहना मन में जरुरी है कि वह जिस काम को करने जा रहा है, उसमें सफल जरूर होगा। यदि वह असमंजस में पड़ा रहा, ‘हां’ और ‘ना’ के फेर में पड़ा रहा तो उसका बनता काम भी बिगड़ जाएगा और वह कुछ न कर पाएगा। यह कथन उस ऐंड्रयू कारनेगी का है जो बचपन में भी अपनी मां से बड़े विश्वास के साथ कहता था कि, “मैं बड़ा होकर खूब धन कमाऊंगा तब तुम रेशमी कपड़े पहना करना, नौकर रखना और गाड़ियों में घूमना।”

आत्मविश्वास रखने वाला मनुष्य सब कुछ कर सकता है। व्यापार में प्रवेश करने वाला व्यक्ति यदि लाभ-हानि की पहले सोचने लगेगा, तो वह अवश्य ही हानि उठाएगा। इसके विपरीत उसके मन में कारनेगी की तरह यह विश्वास प्रारंभ से ही कि वह एक सफल व्यापारी है, उसे सफल होना है तो वह निश्चय ही सफल होकर रहेगा। किसी कार्य-पूर्ति के लिए दृढ़ता के साथ अपने मन में संकल्प आत्मविश्वास कहलाता है।

आत्मविश्वास सभी में होता है। जो अपनी इस अंदुरुनी शक्ति को पहचान लेते हैं और समय पड़ने पर इसका उपयोग करते हैं, वो सफल होते हैं और जो इस शक्ति से वंचित रहते हैं, वो पिछड़ जाते हैं। यदि आप यह संकल्प कर लें कि आपको आगे बढ़ना है, तो कोई कारण नहीं कि आप आगे न बढ़ पाएं। संकल्प के साथ ही अपना आत्मविश्वास जगा कर, focused होकर अपना काम करते रहें। आप सफल होंगे तो दुनिया आपके पीछे दौड़ेगी। आपके सामने कितनी ही बाधाएं क्यों न आएं, कितनी ही अड़चनों का सामना क्यों न करना पड़े, हिम्मत मत हारिए और आगे बढ़ते रहिए। आप अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंच जाएंगे।

2.विश्वास की शक्ति

हमारे अंदर में विश्वास ही तो वह है जिससे knowledge मिलती है। लेकिन विश्वास होना चाहिए, न कि अहंकार। विश्वास हमारे शरीर के अंदर एक पैगंबर की तरह है; एक आध्यात्मिक पैगंबर जो हर मनुष्य के साथ इसलिए नियुक्त (appointed) है ताकि जीवन भर उसको रास्ता दिखाता रहे और उसे उत्साहित व inspire करता रहे। वह हमें अपनी संभावनाओं की एक झलक सी दिखा देता है, हमें निराश नहीं होने देता तथा लगातार आगे बढ़ने के लिए inspire करता रहता है।

हमारी अंदरूनी दृष्टि और हमारा विश्वास वे शक्तियां तथा साधन देख लेते हैं जो डर और doubts की वजह से हमारी आँखो से हमेसा ओझल रहते हैं। हमारी अंदरूनी दृष्टि का विश्वास दृढ़ होता है। वह भयभीत नहीं होती क्योंकि उसे रास्ता मालूम होता है और जो कठिनाइयां सामने हैं वह उसका solution भी जानता है। उसने हमारे मनोहारी जीवन की सरिता में और हमारे आध्यात्मिक साम्राज्य के सागर में डुबकी लगाई होती है।

जिनका विश्वास पक्का होता है, उसके लिए कोई कठिन काम बाधा नहीं बन सकता। वह सब काम कर सकता है क्योंकि वह विश्वास की शक्ति को पहचानता है, जिसे जानना ही काम पूरा होने के समान है। यदि आपको अपनी योग्यता पर भरोसा है, यदि आपको विश्वास है कि काम कैसा भी क्यों न हो, उसे आप भली-भांति पूरा कर सकते हैं तो बाहरी तथा अंदरूनी शक्तियों को काम पर लगाइए, अपने विचारों तथा प्रयासों का मुख अपने आदर्श की ओर फेर दीजिए। फिर कोई कारण नहीं कि आप सफल न हों।

3.अपनी महत्त्वाकांक्षा (ambition) को पहचानो

महत्त्वाकांक्षा अपने रूप में एक कामना (wish) है, जिसे यदि पोषण मिले तो वह बड़ी तेजी से विकसित होती है, पर इसकी लगातार देखभाल करनी पड़ती है और इसे training देना भी जरुरी होता है। जैसे music की योग्यता पाने के लिए लगातार practice की जरूरत होती हैं ठीक उसी तरह जब तक हम अपनी महत्त्वाकांक्षा को जानने की कोशिश नहीं करते, तब तक यह तेज नहीं रहती।

हमारी योग्यताएं यदि प्रयोग में नहीं लाई जातीं, तो वे शीघ्र ही कुंठित हो जाती हैं। फिर उनमें प्रखरता नहीं रहती। सालो की अकर्मण्यता के बाद भी हम यह कैसे आशा कर सकते हैं कि हमारी महान आकांक्षा नवीन और उत्साहपूर्ण रहेगी?

सालो के ढिलाई से, सालो के आलस्य से, सालो की उपेक्षा से महत्त्वाकांक्षा मंद पड़ जाती है। यदि लगातार अवसर हमारे पास आते रहें और उन्हें हम अपनी ढिलाई से खिसक जाने दें, उनसे लाभ उठाने की कोशिश न करें तो आशा और आकांक्षा भी मंद और निर्बल बन जाएंगी।

आपके जीवन में इस बात से बड़ा फर्क पड़ता है कि क्या आप ऐसे दोस्तों और ऐसे लोगों से मिलते हैं, जो आपके अंदर योग्यताएं देखते हैं, जो आप पर विश्वास करते हैं, जो आपको उत्साहित करते हैं या आपकी सराहना करते हैं। या आप ऐसे लोगों से मिलते हैं जो सदा आपके emotion को तोड़ते रहते हैं या आपके आदर्श और उद्देश्य पर चोट करते रहते हैं, आपकी आशाओं को भंग करते रहते हैं या आपकी आकांक्षाओं को नष्ट करते रहते हैं। children’s court के एक अधिकारी के अनुसार, “एक लड़का या लड़की को बुरी सगत से छुड़ाना, बुरे वातावरण से बाहर निकालना, इसके सुधार का पहला कदम है।”

यदि आप में शारीरिक शक्ति नहीं, यदि आप आलसी हैं, यदि आप निष्क्रिय हैं या आराम पसंद हैं तो अपने से ज्यादा ऊंची महत्त्वाकांक्षा वाले लोगों से मिलिए, उनकी संगति में रहिए, उनसे बातचीत कीजिए, इससे आपकी महत्त्वाकांक्षा जीवित, जाग्रत और उत्तेजित होती रहेगी।

4.विश्वास और सफलता के साधन

जेम्स हैमिल्टन न्यूयार्क के एक मोटर कारखाने में काम करता था। उसका लड़का अच्छी शिक्षा प्राप्त न कर पाया था, अतः उसने अपने लड़के बेंजामिन को नौकरी के लिए फिलाडेल्फिया अपने एक मित्र बिल रोजर्स के पास भेजा। बेंजामिन ने फिलाडेल्फिया पहुंचकर पिता के दोस्त बिल रोजर्स से मिलना चाहा जो एक इंजीनियर के दफ्तर में नौकर था। जब वह दफ्तर में पहुंचा तो वहां कोई आदमी न था। वह एक खाली कुर्सी पर बैठकर बिल रोजर्स का इंतजार करने लगा। तभी वहां इंजीनियर आ गया। भाग्य की बात है, जिस कुर्सी पर बेंजामिन बैठा था, वह इंजीनियर की थी। उसे बहुत बुरा लगा और उसने डांट-डपटकर बेंजामिन को कुर्सी से उठा दिया। थोड़ी देर में बिल रोजर्स भी आ गया। उसने इंजीनियर से बेंजामिन के लिए नौकरी की बात की।

तभी बेंजामिन बोल उठा, “जी! नौकरी करने का मेरा विचार बदल गया है।”
बिल रोजर्स ने पूछा – “क्यों ऐसी क्या बात हुई ?”
बेंजामिन ने कहा – ‘अब तो मैं और आगे पढूंगा। आज जिस कुर्सी से मैं उठाया गया हूं, एक दिन मैं उस पर बैठकर रहूंगा।”
        फिर बेंजामिन ने लौटकर न्यूयार्क के एक कॉलेज में admission कराया और सचमुच एक दिन वह इंजीनियरिंग का exam पास कर हकीकत में उस कुर्सी पर जा बैठा। उसकी यह इच्छा पूरी हुई। यह उसका आत्मविश्वास ही था, जिसने उसे उस कुर्सी तक पहुंचाया।        ज्यादातर लोग अपनी पूरी शक्ति से बेखबर रहते हैं। वे अपनी क्षमता को नहीं पहचानते और तब तक वे अपनी उस शक्ति और सामर्थ्य से बेखबर रहते हैं, जब तक उन पर किसी प्रकार की responsibility का भार नहीं डाला जाता या उन पर अचानक ही कोई संकट नहीं आ पड़ता।

5.साहस, शक्ति और विश्वास

संसार में शायद ही कोई ऐसा मनुष्य हो जिसे काम न करना पड़ता हो। कोई न कोई काम तो सभी को करना पड़ता है। लेकिन कभी-कभी जीवन में ऐसे पल भी आते हैं, जब व्यक्ति को ज्यादा काम करना पड़ता है। ऐसा भी समय आता है जब काम का भार असहनीय हो जाता है। काम ज्यादा होने से कभी घबराना नहीं चाहिए और यह भी नहीं सोचना चाहिए कि, “मुझसे इतना काम तो कभी न हो सकेगा?” जिस प्रकार आप तेज चलते हैं, जल्दी-जल्दी खाते हैं, जोर-जोर से बोलते हैं, उसी प्रकार काम को जल्दी से करने की आदत भी डाल सकते हैं।

आप में कुछ ऐसी शक्ति और कुशलता रहती है जो मौका पड़ने पर आप में जाग उठती है। इन्हीं के बल पर, समय आ पड़ने पर हमारे कठिन से कठिन काम पुरे होते हैं। उस समय शरीर की सहन-शक्ति अपने आप बढ़ जाती है, दिमाग तेजी से काम करने लगता है और वह कठिन काम किस तरह पूरा हो जाए, हमारा मन यह बात सोचने लगता है।

जहाज के डूबने पर मल्लाह एक छोटी सी डोंगी पर सैकड़ों मील समुद्र पार करने की हिम्मत ही नहीं करता, बल्कि पार भी कर जाता है। उसका रहस्य मनुष्य की छिपी हुई यह कार्य-शक्ति ही है। यदि किसी कठिन कार्य के समय आप अपने को अपनी इस शक्ति की याद दिला दें तो आप जानते हैं क्या होगा? अधिक काम आ पड़ने से आप में पैदा हुई घबराहट और डर गायब हो जाएगा। डर के दूर होते ही आपका हृदय शांति से भर जाएगा; इस कारण आपमें एक अद्भुत शक्ति का संचार होगा जो काम को शीघ्र ही पूरा करती है।

पहचानिए कि आप क्या हैं? देख लीजिए अपनी शक्ति को तौलकर। आप देखेंगे कि आपमें महानता छुपी हुई है। आप पाएंगे कि आपमें शक्तियां भी हैं, जिनका अभी तक आपने use नहीं किया है। उनका use करके देखिए, अपने में विश्वास पैदा कीजिए। जीवन में सफलता पाने के लिए यह बहुत जरुरी होता है।

6.आत्मविश्वास जगाओ

एक बार संसार के famous वायलिन वादक ऑलेबुल पेरिस में अपना program कर रहा था। तभी वायलिन का एक तार टूट गया, लेकिन ऑलेबुल ने केवल तीन तारों पर ही अपनी धुन को सफलता से पूरा कर दिया। हैरी इमर्सन के अनुसार जीवन की विशेषता इसी में है कि यदि एक तार टूट भी जाए तो तीन तारों पर ही अपना काम चला लिया जाए। इसी में जीवन की सफलता है।

ज्यों-ज्यों हम सफल और आत्मविश्वासी व्यक्तियों के व्यवहार का अध्ययन करते जाते हैं, त्यों-त्यों हमारा यह विश्वास दृढ़ होता जाता है कि इनमें से ज्यादातर वो व्यक्ति थे, जिन्हें बाधाओं और रुकावटों में अपना जीवन सुरु करना पड़ा था। उन बाधाओं और रुकावटों ने उनको महान efforts और महान results की ओर प्रोत्साहित (encouraged) किया। जैसा कि विलियम जेम्स ने कहा है, “हमारी दुर्बलताएं अप्रत्याशित रूप से हमारी सहायक बन जाती हैं।”

मिल्टन इतना सुंदर काव्य इसलिए लिख सका कि वह अंधा था और बिथोविन उत्कृष्ट (excellent) संगीत की रचना इसलिए कर सका कि वह बहरा था। हेलन केलर का चरित्र प्रखर इसलिए बन सका कि वह अंधी और बहरी थी।

यदि चैकोवस के जीवन में नैराश्य नहीं होता, यदि दुःखद दाम्पत्य जीवन ने उसे आत्महत्या के निकट न खदेड़ा होता, यदि उसका अपना जीवन इतना दयनीय नहीं होत तो शायद वह अपनी अमरकृति ‘सिम्फोनि पेथेटीक’ की रचना नहीं कर पाता। यदि दास्तावस्की और टॉलस्टाय ने दुःखपूर्ण जीवन नहीं बिताया होता तो संभवतः वे अमर उपन्यासों की रचना नहीं कर पाते।

7.आत्मविश्वास से सफलता

स्वामी विवेकानन्द ने कहा था “भविष्य में क्या होगा, इसी चिंता में जो हमेसा रहता है उससे कोई काम नहीं हो सकता। इसलिए जिस बात को तू यह समझता है कि वह सत्य है उसे अभी कर डाल; भविष्य में क्या होगा, क्या नहीं होगा इसकी चिंता करने की क्या जरूरत है? छोटा सा तो जीवन है, यदि इसमें भी किसी काम के लाभालाभ (profit margin) का विचार करते रहे तो क्या उस काम का होना संभव है?”

विलियम जेम्स का कहना है कि एक बार सावधानी से facts के basis पर, निर्णय पर पहुंच कर तुरंत ही उसके पालन में जुट जाइए। उस पर विचार करने के लिए रुकिए मत, डांवाडोल न रहिए, चिंता न कीजिए तथा पीछे कदम मत रखिए, अपने को शंका में मत डालिए और अपनी सोच, अपने विचार और अपनी शक्ति पर अविश्वास मत कीजिए।

इस बारे में वेट फिलिप का मत इस प्रकार है, “मेरा मानना है कि एक निश्चित अवधि से अधिक अपनी समस्याओं पर विचार करते रहने से चिंताएं और उलझनें निश्चित ही अपना सिर उठा लेती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब अधिक छानबीन और सोच-विचार हानिकारक होता है, अतः हमें अमुक निश्चय पर पहुंचकर कार्य आरंभ कर देना चाहिए और पीछे मुड़कर न देखना चाहिए। किन्तु इसके लिए आत्मविश्वास का होना अनिवार्य है। आत्मविश्वास के अभाव में कभी किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सकता।”

8.आत्मविश्वास से उन्नति

महान लोगों का विचार है कि हर एक व्यक्ति के अंदर में कोई न कोई सुप्त योजना जरूर रहती है जो मौका पाकर कभी न कभी खुद प्रकट हो जाएगी। फिर वह वही काम करेगा जिसका कि वह पात्र है। लकिन यह पूरा जूठ है, बल्कि भारी भ्रम है। तथ्य यह है कि जब कोई आकस्मिक विपत्ति हमारे सिर पर आ पड़ती है, हमें कोई आकस्मिक अभियान पूरा करना होता है, उस समय उस विपत्ति का सामना करने और उस अचानक अभियान को पूरा करने के लिए हम जितनी महान शक्ति प्रकट करते हैं, वह हमारे अस्तित्व और हमारे अहं की एक हल्की सी झलक दिखलाती है, जिसके बारे में हमारा यह विचार होता है कि वह कहां से आ गई, इससे पहले तो वह कहीं दिखाई नहीं दी थी।

इस बात से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारे अंदर कितनी महान योग्यताएं निष्क्रिय अवस्था में हैं। हमारे आंतरिक समुद्र की तह में संभावनाओं के कितने बहुमूल्य मोती छिपे हुए हैं। हमारे अंदर ऐसे भंडार हमेसा से बेकार पड़े हैं जिन तक किसी की पहुंच नहीं हुई। हमें उनसे लाभ उठाना है और उन्हें काम में लाना है। ये आंतरिक योग्यताएं ही हमें आत्मविश्वास का साम्राज्य (empire) प्रदान करती हैं।

हमें ऐसे नोजवानो और साहसी लोगों पर ताज्जुब होता है जो खुद ही किसी मंजिल की ओर चल पड़ते हैं और किसी पूंजी (capital) या personal impact के बिना ही आश्चर्यजनक कामो को अंजाम देते हैं। उन्हें देखकर हम कहा करते हैं, “इनके भीतर पहले से ही ऐसी योग्यता थी।” लेकिन यदि हम कोशिश करें तो शायद हमारे भीतर भी उन नोजवानो के जैसी या उनसे भी ज्यादा शक्ति आ सकती है।

लोग अपनी capacity से अंजान होने की वजह से fail हो जाते हैं। उनकी असफलता का कारण इसके सीबाय और कुछ नहीं कि वो अपनी गुप्त तथा आंतरिक योग्यताओं के बारे में अज्ञान रहते हैं और उससे जागरूक होने की कोशिश भी नहीं करते। अपने आपको good advice देना खुद एक बहुत बड़ी पूंजी है और वह एक सफल व्यवसाय है। हमेसा ऐसे काम करें, ऐसी योजना अपनाएं जिससे सफलता, उन्नति,उच्चता तथा श्रेष्ठता प्रकट हो।

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