Aap Bhi Ban Sakte Hain Apne Sapno Ka Insaan | Become the Person You Dream of Being by Wes Beavis
आप भी बन सकते हैं अपने सपनों का इंसान | Become the Person You Dream of Being by Wes Beavis Book Summary in Hindi |
1.महानता के बीजों को पानी दीजिये
अपने सपनों को साकार करने की दिशा में पहला कदम है, अपनी महानता के बीजों को अंकुरित होने का अवसर देना। यदि आप अपने अंदर से आ रही इस आवाज़ पर विश्वास करते हैं जो आपको बार-बार बताती है कि आपमें प्रचुर संभावनायें हैं, तो आप एक बेहतर व अधिक समृद्ध जीवन की यात्रा प्रारंभ कर देते हैं। आत्मशंका के रेगिस्तान में विश्वास का जीवनदायिनी जल सींचने के निर्णय से ही महानता के बीज अंकुरित हो सकते हैं।
मैं ऐसे किसी भी व्यक्ति को नहीं जानता जो अपनी असुरक्षाओं या नकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के कारण महान बना हो। हर व्यक्ति का एक ऐसा पहलू होता है जहाँ आत्मविश्वास की कमी होती है, पर उसे बढ़ावा देने का क्या लाभ, जब जीवन में उससे कुछ फायदा ही न हो। आपने अपनी शंका को लंबे समय तक अपने जीवन पर राज्य करने दिया है, अब वक्त आ गया है कि आप अपने जीवन के सिंहासन पर विश्वास को आसीन करें। जैसे ही आप ऐसा करने का निर्णय लेते हैं, आप दुनिया की नज़र में और खुद की नज़र में भी स्वयं को एक अच्छा इन्सान बनाने की शुरूआत करते हैं।
कुछ लोग सोचते हैं कि वे महान इसलिये नहीं बन पा रहे हैं क्योंकि उन्हें अवसर नहीं दिया जा रहा है। यह सच हो सकता है। पर यह भी सच है कि ऐसे लोगों का जीवन शायद ‘अवसर’ का इंतज़ार करते-करते ही खत्म हो जाये।वे लोग सोचते है कि अवसर खुद चल कर उनके पास आएगा पर ऐसे चमत्कार इतने दुर्लभ हैं कि उनका इंतज़ार करना मूर्खतापूर्ण है। वास्तव में अवसर प्राप्त करने की सबसे बड़ी कुंजी है – स्वयं अवसर बनाना। यदि सपना साकार करना है तो यह आप पर ही निर्भर करता है – आपके बैंक मैनेजर, जीवनसाथी, सौभाग्यशाली अवसर या किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु पर नहीं जो आपके मस्तिष्क में है। अवसर की प्रतीक्षा करना छोड़िये । स्वयं अवसर का निर्माण करने की आदत डालिये। जीवन के सफर में जीतने वाले यही करते हैं।
सोचिये कि आपके लक्ष्य की दिशा में आप अपनी यात्रा किस प्रकार प्रारंभ कर सकते हैं। याद रखिये कि आपकी यात्रा की शुरूआत ही आपके अवसर की भी शुरूआत है। आप ईश्वर की अनुपम कृति हैं। इसका लाभ उठाइये। इस ग्रह पर बिलकुल आपके जैसा कोई भी नहीं है। इसलिये दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर दीजिये। वे लोग कभी भी आपके जैसे नहीं बन सकते, फिर आप क्यों उनके जैसा बनने की कोशिश करते हैं? इस सत्य को स्वीकार कीजिये और अपने आपको छोटी सोच से मुक्त कीजिये।
ऐसे बहुत से लोग हैं जो यह कहेंगे कि कोई व्यक्ति एक सीमा तक ही असफलता सहन कर सकता है और उसके बाद वह प्रयास करना छोड़ देगा। यह सच हो सकता है। पर हमें असफलता के सकारात्मक पहलू के बारे में भी सोचना चाहिये। असफलता शायद इंसान को परिपक्व बनाने वाली विश्व की सबसे सशक्त प्रक्रिया है। असफलता के बाद सफलता प्राप्त करने पर आपको अतिरिक्त खुशी का एहसास भी होता है। आखिर इस सफलता को आपने इतनी असफलताओं और बाधाओं के बाद जो पाया है। इससे आपका संकल्प भी दृढ़ होता है और आपको यह महसूस करने में मदद मिलती है कि असफलता से आपको कुछ समय तक चोट पहुंच सकती है, पर इससे आप मर नहीं जाते। आप जीवित रहते हैं, आपके बुलंद हौसले जीवित रहते हैं।
जब आपको यह एहसास होता है कि आप असफलता के बाद भी जीवित रहते हैं तो आपको यह एहसास भी होता है कि असफलता से भविष्य का अंत नहीं हो जाता; न ही भविष्य की संभावनायें समाप्त हो जाती हैं, जैसा आपने सोचा था और जिसका आपको डर था। वास्तव में असफलता आपके सपनों को हकीकत में बदलने की प्रक्रिया में उत्प्रेरक का कार्य करती है। अगर आप असफलता को इस रोशनी में देखेंगे तो आप पायेंगे कि आप वैसा ही इंसान बनने की प्रक्रिया में हैं जैसा बनने का आपने सपना देख रखा है।
2.छोटे कदमों को विशाल छलांगों में बदलिये
जब आप पहली सीढ़ी पर पहुँचने में कामयाब हो जाते हैं तो दूसरी सीढ़ी पर चढ़ना आपके लिये अधिक आसान हो जाता है। हासिल की गई उपलब्धियों का सहारा लेकर नई उपलब्धियाँ हासिल करने की प्रक्रिया अपनाइये। इससे असंभव से दिखने वाले कामों को भी आप सहज संभव बना सकते हैं। आपकी हर नई कोशिश जो पूर्व की उपलब्धियों के बाद होती है, आपके छोटे कदमों को विशाल छलांग में बदल देती है।
इस सिद्धांत को जीवन में उतारना ही अपने सपनों का इंसान बनने का रहस्य है। अपनी उपलब्धियों पर आगे निर्माण करते रहिये। अपने गुज़रे कल की उपलब्धि से जो भी सीखा हो, उस अनुभव को ध्यान में रखते हुये आज कुछ नया चुनौतीपूर्ण कार्य करें। सफलता तो एक यात्रा है जिसमें आप हमेशा आगे बढ़ते रहते हैं।
उन क्रियाकलापों और गतिविधियों की जाँच कर ले जिनमें आप व्यस्त हैं। यह मूल्यांकन करें कि क्या ये गतिविधियाँ उसी दिशा में हैं जो आपको अपने सपनों का इंसान बनने में मदद करती हैं ? आप जिन कार्यों में जुटे रहते हैं उनका रचनात्मक होना तो ज़रूरी है ही, साथ ही यह भी ज़रूरी है कि वे आपको आपके अंतिम लक्ष्य तक पहुँचाने में सहायक भी हों। अन्यथा, आपके कार्य भले ही प्रशंसनीय हों फिर भी उन्हें आपके सपनों के मार्ग में भटकाव की संज्ञा देना ही उचित होगा।
जो व्यक्ति अपने सपनों का इंसान बनने की राह पर चलते हैं वे अपनी इस तीर्थयात्रा को दो विभिन्न पहलुओं से देखते हैं। वे अपने जीवन की बड़ी तस्वीर भी देखते हैं और उन छोटी-छोटी तस्वीरों को भी देखते हैं जिनसे मिलकर वह बड़ी तस्वीर बनती है। यह बहुत जरुरी है कि आप दोनों तस्वीरों को एक साथ देखते रहें।
3.कर्म कीजिये
आप भी ऐसे कई लोगों को जानते होंगे। आपने उन्हें यह कहते हुए सुना होगा, ‘अरे, मैं यह कर सकता था…. ऐसा तो मैं भी कर सकता था…. एक दिन मैं इसकी कोशिश ज़रूर करूँगा…. मैं यकीनन इसकी कोशिश करूँगा…. क्या ऐसा करना अच्छा नहीं होगा?’ पर वे सिर्फ बातें ही करते रहते हैं, कर्म नहीं करते। ऐसे लोग जिंदगी भर सिर्फ कर्म करने की बातें ही करते रहते हैं।
ऐसा नहीं है कि ये लोग आलसी हों। बात सिर्फ इतनी सी है कि ये लोग असुरक्षा की भावना से बचना चाहते हैं।दुर्भाग्य से उनकी इसी भावना के कारण ये लोग वर्तमान जीवन से ऊपर उठकर अधिक महान बनने की संभावना को खो बैठते हैं। कर्म नहीं करने की आदत से इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि आप नया कुछ कर ही न पायें। इस कारण भविष्य में आपको यह अफसोस रहेगा कि जो कुछ बनने का आपने सपना देखा था, वह बनने के लिये आपने ज़्यादा मेहनत नहीं की।
हर महान व्यक्ति की कहानी में छोटी शुरुआतों की कई कहानियाँ होती हैं। इसी तरह तो वे महान बनते हैं। वे जानते हैं वे कहाँ से आये हैं और आज वे जहाँ हैं वहाँ तक पहुँचने में उन्होंने कितना संघर्ष और परिश्रम किया है। वे जानते हैं कि ऐसा सिर्फ संयोग से नहीं हुआ है और हालांकि उनके सफर का नज़ारा अनूठा हो सकता है पर वे जानते हैं कि उनके अनुभव में एक चीज़ बिलकुल औरों जैसी है – सुरक्षित दायरे से बाहर निकलने का निर्णय और कर्म करने का साहस । कौन जाने क्या घटित हो जाये यदि आप भी ऐसा ही करने की ठान लें ?
ऐसे कई लोग हैं जो गलतियाँ करके शर्मिंदा होने से डरते हैं। यहाँ बहस की कोई गुंजाइश नहीं है। मैं खुद भी अतीत की गलतियों के साथ रहने में उतना ही डरता हूँ जितना कि आप। पर यदि आपके सामने यह दो विकल्प हों कि आप बिना गलती किये सफलतापूर्वक कुछ भी न करने के लिये पहचाने जायें या फिर यात्रा के दौरान थोड़ी-बहुत गलतियाँ करके जीवन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने के लिये जाने जायें, तो आप कौन सा विकल्प चुनना चाहेंगे ?
मैंने तय कर लिया है
4.पहली ‘नहीं’ पर आशा मत छोड़िये
दरअसल कोई न कोई रास्ता तो हमेशा ही मौजूद रहता है। बस खोजने वाला चाहिये, जो पूरी सावधानी और लगन से रास्ता खोजने में जुट जाये। कितने ही सफल काम कभी नहीं हो पाते अगर पहली ‘नहीं’ को ही अंतिम नहीं के रूप में स्वीकार कर लिया जाता। पहली ‘नहीं’ पर कभी भी प्रयास करना न छोड़ें। हो सकता है आप जिस अगले व्यक्ति से मिलें वह आपका मिस्टर मेक्लेलन हो, जो सफल होने में आपकी मदद कर दे। आप इस आदमी को पहचान लेंगे क्योंकि वह कुछ इस तरह से बात करेगा, ‘यह काम मुश्किल हो सकता है, पर अगर यह संभव है तो मैं कोई न कोई रास्ता खोज ही लूँगा।’
जब आप यह निर्णय लेते हैं कि आप अपने जीवन में कुछ खास करने वाले हैं तो आप खुद को इस बात के लिये तैयार कर लीजिये कि आप अधिक प्रतिरोध का रास्ता चुनें।
जब भी कोई कहता है, ‘नहीं, यह नहीं हो सकता’ तो हो सकता है वह सही हो। पर इस बात की भी संभावना है कि वह हर वक्त सही न हो। यदा-कदा उत्पन्न प्रतिरोधों को भांप लीजिये पर जिग जिग्लेर के शब्दों को ध्यान में रखिये, ‘यदि आप घर से बाहर निकलने से पहले ही सभी रोशनियों के हरे होने का इंतज़ार करेंगे तो आप कभी भी घर से बाहर नहीं निकल पायेंगे।’
अपने सपनों का इन्सान बनने की राह में आपके सामने कई अवरोध और बाधायें अवश्य होंगी। कुछ तो यात्रा शुरू करने से पहले ही आयेगी और कुछ यात्रा शुरू करने के बाद आयेंगी। पर इन चुनौतियों से निबटने के लिये आपको तैयार रहना चाहिये अन्यथा ये आपकी जीत को हार में बदल सकती हैं। यदि आप पहली चुनौती के आते ही मैदान छोड़ देते हैं तो आप अपनी वर्तमान स्थिति से आगे प्रगति नहीं कर पायेंगे और आप कभी भी सफल होने का स्वाद नहीं चख पायेंगे। इस तरह आप अपने आलोचकों की बात को सही साबित कर देंगे जिनकी राय में आपकी सफलता संभव नहीं थी।
पहली ‘नहीं’ पर प्रयास करना न छोड़ने की आदत यदि आपने अपने भीतर विकसित कर ली तो आप जीवन में ज़बर्दस्त उपलब्धियों का संसार हमेशा के लिये हासिल कर लेते हैं। यह गुण लगन या दृढ़ता (tenacity) है।
5.सकारात्मक सोचिये
हमारे मस्तिष्क में जो विचार आते हैं, उन विचारों को चुनने की क्षमता मनुष्य को प्राप्त सबसे बड़ी शक्तियों में से एक है। जब हम इस शक्ति को जान जाते हैं तो हम यह भी जान जाते हैं कि इसमें हमें बनाने की योग्यता है…. और मिटाने की भी।
अगर आप जीवन में ऊपर उठना चाहते हैं तो अपने पैर को एक्सीलरेटर पर रखिये और ब्रेक से दूर रखिये। जब आप अपने मस्तिष्क में सकारात्मक विचारों को आमंत्रित करते हैं तो आप अपने पैर को एक्सीलरेटर पर रखते हैं। जब आप नकारात्मक विचारों को अनुमति देते हैं कि वे आपको प्रगति के मार्ग से नीचे खींच लें तो आप अपने पैर को ब्रेक पर रखते हैं। इससे आपकी गति व प्रगति दोनों धीमी हो जाती हैं।
जिस प्रकार बगीचे में झाड़-फूंस अपने आप उग आती है और इसे कम करने का सबसे बढ़िया तरीका है कि आप बगीचे में अपनी पसंद के पौधे लगा लें। यही हमारे मस्तिष्क के बारे में भी कहा जा सकता है। नकारात्मक विचारों को खत्म करने का सबसे आसान तरीका इसकी जगह सकारात्मक विचारों को विकसित करना है। अपने मस्तिष्क के घर को खाली छोड़ने जैसा कोई विकल्प नहीं होता। अगर हमने कोई अच्छा किरायेदार नहीं रखा है, तो बुरा किरायेदार अपने आप ही हमारे मस्तिष्क में ज़ोर-ज़बर्दस्ती से घुस आता है।
6.किसी चीज को पाने की प्रबल इच्छा हो तो साधन खुदबखुद जुट जाते हैं
क्या आपने कभी ऐसी कोई चीज़ चाही है जिसे प्राप्त करने के लिये आपके पास पैसे नहीं थे? जब भी आप चाही गई वस्तु के लिये पैसे बचाने का निर्णय लेते है, पैसे अपने आप इकट्ठे होना शुरू हो जायेगे। वस्तु को प्राप्त करने की प्रबल आकांक्षा की वजह से खर्च कम हो जाते है और आय का बेहतर उपयोग होने लगता है।
अपने सपने के रोमांच से प्रेरणा पाकर हमने इस बात पर विचार किया कि हम किस तरह से अपने खर्चों को नियंत्रित कर सकते हैं जिससे हम धन जुटा सकें। हमारे पास दो कारें थीं और अपने सपने को संभव बनाने के लिये हमने उनमें से एक कार बेच डालने का निर्णय लिया। भविष्य में दूसरी कार खरीदना ज़्यादा आसान काम था, पर इतनी कम कीमत पर इतनी बढ़िया ज़मीन मिलना लगभग असंभव था । यह आश्चर्यजनक है कि जब हमारा सपना सच होने वाला होता है, तो हम कितने कष्ट झेलने को तैयार रहते हैं। हमने एक कार बेचने का निर्णय लिया और पैसे जुटा लिये। तो याद रखें, अक्सर प्रबल साध्य अपने साधन खुद ढूंढ लेते हैं और सपना अनपेक्षित रूप से अपने आप साकार होने का इंतज़ाम कर लेता है।
कई महानतम योजनायें इन शब्दों पर खत्म होती हैं, ‘हमारे पास पैसा नहीं है!’ अक्सर कहने वाला बिलकुल सच बोल रहा होता है। पर Author का मानना है कि अगर विचार प्रबल है और विचारक में दम है तो लक्ष्य प्राप्त करने के प्रयास में साधन अपने आप इकट्ठे होने शुरू हो जाते हैं। अपने आपको यह पुरानी कहावत याद दिलाइये जहाँ चाह वहाँ राह। यकीनन यह मुश्किल हो सकता है, पर यह संभव तो है ही। संसाधनों या पूंजी की क्षणिक कमी के कारण कभी भी अपने सपने की मौत न होने दें।
अधिकांश लोगों की प्रवृत्ति होती है कि वे तब तक कोई रोमांचपूर्ण कार्य प्रारंभ नहीं करते हैं, जब तक कि उनके पास कार्य शुरू करने से पहले ही उसे पूरा करने के लिये साधन न हों। या पूरा पैसा न हो। इस तरह की प्रवृत्ति हमारी प्रगति में बाधक होती है क्योंकि इससे हमें सुरक्षित दायरे में बने रहने का एक आसान सा बहाना मिल जाता है।
एक सपना सूखे कुंए में से पानी निकाल सकता है। मैंने इस नियम को जाने कितनी बार खुद अनुभव किया है और यह पाया है कि सफल होने की यह एक क्रांतिकारी नीति है। अब तो भले ही मेरे पास लक्ष्य तक पहुँचने के साधन नहीं होते, फिर भी मैं यात्रा करना तो शुरू कर ही देता हूँ । मैं अपनी यात्रा इस विश्वास के साथ शुरू करता हूँ कि मुझे राह में साधन स्वयमेव मिलते जायेंगे और यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर मुझे नये अवसर मिलते रहेंगे। और सच कहूँ, तो हमेशा ऐसा ही होता है।
हम सभी को यह पता है कि जब भी अवसर हमारे द्वार पर दस्तक दे, हमें उसे पकड़ने के लिये तैयार रहना चाहिये। पर जब मैं अपनी यात्रा और उन अवसरों के बारे में सोचता हूँ जिन्होंने मेरी तकदीर बदल दी है, तो मैं पाता हूँ कि शायद ही उनमें से किसी ने मेरे द्वार पर दस्तक दी हो। हो सकता है उन्होंने मुझे सड़क के उस पार से पुकारा हो। हो सकता है कई बार उन्होंने मुझे शहर के दूसरे कोने से इशारा करके बुलाया हो। कई बार उन्होंने मुझे दूसरे राज्य से भी बुलावा भेजा है। अक्सर मुझे अवसर तभी मिले हैं जब मैं अपना घर छोड़कर अनजान जगहों पर उन्हें ढूँढता हुआ उनके पीछे-पीछे गया हूँ।
7.उधारी चुकाते रहिये
आपका शरीर ही वह मशीन है जो आपको और आपके सपनों का बोझ ढोता है। कई बार लोग अपने सपने की राह में अपने शरीर पर अत्याचार करते चले जाते हैं। अगर आप अपने सपने को पूरा करने की प्रक्रिया में खुद को ही नष्ट कर लेंगे तो जीत का आनंद उठाने के लिये आपके पास कुछ भी बाकी नहीं बचेगा। क्या इससे आपका मकसद नाकामयाब नहीं हो जायेगा? अपनी बैटरियों को चार्ज करते रहिये ताकि इनकी शक्ति कम न हो। अवसर निकालिये। आप लंबी दूरी तक जाने और सफल व्यक्ति बनने की राह में एक अच्छा निवेश करने जा रहे हैं।
अपने परिवार की उधारी चुकाइये
हाल ही में मैंने एक आकर्षक दंपत्ति के साथ लंच लिया। चर्चा के दौरान मैंने उनसे पूछा कि वे कौन सी चीजें थीं जिनके कारण वे उन पचास सालों तक दांपत्य जीवन में सुखद रूप से बंधे रहे थे। पत्नी ने कहा, ‘जब हमने शादी की थी, तभी हमने तय कर लिया था कि अच्छा समय आये या बुरा, हम दोनों साथ-साथ रहेंगे। हमारे न चाहते हुए भी कई बार हमारे जीवन में कठिन समय आये, पर हम दोनों ने मिलकर जब उन्हें झेला तो वे थोड़े कम कठिन लगने लगे।’ इस बात से मैं प्रभावित हुआ और साहचर्य के महत्व को समझाने वाले इस दंपत्ति के जीवन की सफलता की प्रशंसा करने पर विवश हो गया।
जिस कार्य में आप जुटे हैं उससे आपको जो लाभ मिले, उसे भी आप परिवार के साथ बाँट सकते हैं। आपके प्रयासों में समर्थन देने वाले व्यक्तियों को लाभ का हिस्सेदार बनाना उनके त्याग का पुरस्कार है। अन्यथा उनके लिये यह कहना और सोचना आसान हो जायेगा, ‘इससे क्या फायदा है?’ किसी महान व्यक्ति ने कहा था उस आदमी को क्या फायदा होगा जो पूरा संसार तो हासिल कर लेता है, पर इस चक्कर में अपना परिवार ही खो देता है।
अपने समर्थकों की उधारी चुकाइये
जब आप एक क्षण रुकते हैं और अपने जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ों पर विचार करते हैं तो आप पायेंगे कि आपके इन मोड़ों पर कई लोगों ने आपकी मदद की है। हो सकता है आपके संकट के क्षणों में उनका फोन आया हो। हो सकता है उन्होंने उत्साह बढ़ाने वाला कोई ऐसा संदेश भेजा हो जिससे आपका जीवन बदल गया हो। हो सकता है उन्होंने कभी आपकी कहीं तारीफ की हो या आपको अवसर देने के लिये उन्होंने कोई खतरा उठाया हो या खतरे की राह पर वे कभी आपके साथ चले हों। बहरहाल उन्होंने जो भी किया हो, वह आपके जीवन में महत्वपूर्ण आशीर्वाद की तरह था।
ये कौन लोग थे जिन्होंने आपकी मदद की? आखिरी बार कब आपने उनको पत्र लिखकर यह बताया कि आप उनके योगदान को भूले नहीं हैं? हो सकता है कि घटना के बरसों बाद आपके द्वारा भेजे गये कृतज्ञता के पत्र से उनके जीवन में भी कोई महत्वपूर्ण मोड़ आ जाये।
बैंक की उधारी चुकाइये
कोई भी चीज़ आपको अपने सपनों का इंसान बनने से इतनी तेज़ी से नहीं रोकती जितना कि नहीं चुकाया गया कर्ज़। ज़िम्मेदारी से चुकाया जाने वाला कर्ज़ मूलतः अच्छा होता है फिर चाहे आपने इसे घर खरीदने के लिये लिया हो या किसी व्यवसाय या उच्च शिक्षा के लिये। पर आपके पास उतनी आय होना ज़रूरी है जितना आप खर्च कर रहे हैं, अन्यथा आप कर्ज़ के महासागर में हिचकोले खाने के लिये आजीवन अभिशप्त रहेंगे। वह उधारी जो चुकायी नहीं जाती, आपको आर्थिक रूप से बर्बाद कर देती है और उससे आपको सिर्फ एक चीज़ प्राप्त होती है.अनुभव।
ज़ाहिर है कि अनुभव प्राप्त करने की इस प्रक्रिया में आनंद भी नहीं है और अनुभव पाने के और भी कई आसान तरीके हैं। हालांकि कई लोग अपने कुप्रबंधन के बजाय दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण दीवालिया होते हैं। फिर भी यह सत्य है कि अधिकांश असफल लोग अगर प्रयास करते, तो असफलता को टाल सकते थे।
8.परेशानी में भी उदार व शालीन बने रहिये
जब आप उलझन में फंस जायें तब चुनौतियां और निराशाएं आपके धैर्य की परीक्षा लेती हैं। यह जायज है कि कई बार आप उदास महसूस करें। हालांकि थोड़ी बहुत उदासी को शब्दों के माध्यम से निकालना अच्छी बात है पर आप अपने शब्दों पर संयम रखें। ऐसा न हो कि आप ऐसे शब्द कह जायें जिन पर बाद में आपको पछतावा हो। “यह तो वह ‘मैं’ नहीं हूँ जो मैं दुनिया के सामने नज़र आना चाहता हूँ। वास्तव में यह ‘मैं’ वह नहीं हूँ जो मैं बनना चाहता हूँ।” अपने व्यवहार को कुंठाग्रस्त बनाने के स्थान पर सद्भावनापूर्ण बनाने के लिये हमें काफी प्रयास करने पड़ते हैं। हमें स्वयं को सहृदय व उदार बने रखने के लिये प्रशिक्षित करना चाहिये क्योंकि कई परिस्थितियों में हमारी पहली प्रतिक्रिया कुंठाजनित होती है।
कभी-कभार आप एक ऐसे चैम्पियन से मिलते हैं जो मानवीय दयालुता का राजदूत भी होता है। ऐसे लोग अपने उदाहरण से दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। सफलता शब्द के नाम को ऐसे ही लोग रोशन करते हैं। वे यह सिद्ध करते हैं कि लक्ष्य प्राप्त करने की आपकी राह में यह ज़रूरी नहीं है कि आप अपने सद्भावनापूर्ण व श्रेष्ठ चरित्र को छोड़ दें।
कुछ नियम तो पूरे ब्रह्मांड की संरचना में ही निहित हैं। जैसा बोओगे, वैसा काटोगे। अगर आप टमाटर के बीज बोते हैं, तो आप टमाटर की फसल काटते हैं। अगर आप बबूल का बीज बोते हैं, तो आप बबूल की फसल काटते हैं। बोने और काटने का यह नियम हमारे व्यक्तिगत गुणों से भी संबंध रखता है। इसी तरह अगर आप आलोचना बोते हैं तो आप आलोचना की फसल काटेंगे। अगर आप प्रशंसा के बीज बोते हैं तो आप प्रशंसा की फसल काटते हैं। अगर आप जीवन के आइने के सामने निराशा रखते हैं तो संसार आपको निराशा का प्रतिबिंब दिखाता है। अगर आप आशा को सामने रखते हैं तो आशा प्रतिबिंबित होकर आपकी तरफ लौटेगी। अगर आप असफलता पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो आपको इस बात पर आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि आप असफल हो जाते हैं। आपके विचारों की असफलता आपके कार्यों की असफलता में बदल जाती है। अगर आप अच्छाई का पौधा लगाते हैं तो आपको बदले में अच्छी चीजों की ढेर सी फसल मिलती है।
9.कठिन काम को आनंद में बदलिये
जब आप आत्मसम्मान के लिये भूखे हों तो इससे बढ़िया बात क्या हो सकती है कि आप ‘गर्वपूर्ण उपलब्धि रेस्तरां’ में जाकर किसी विशेष महान उपलब्धि का ऑर्डर दे दें ? मैं आपको यह ऑर्डर देते हुये सुनता हूं, ‘क्या मुझे एक पदोन्नति मिल सकती है और साथ ही बढ़ी हुई तनख्वाह भी? क्या मुझे एक कॉलेज डिग्री या मेडिकल लाइन का कैरियर और टाइम मैग्ज़ीन के मुखपृष्ठ पर स्थान मिल सकता हैं? और क्या इसके साथ-साथ मुझे अतिरिक्त प्रशंसा भी मिल सकती है ?’ वह दुनिया कितनी बढ़िया होगी, पर ऐसा इस दुनिया में तो नहीं हो सकता जिसमें हम रहते हैं।
इस संसार में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ न तो खरीदी जा सकती हैं, न ही उधार मिलती हैं और निश्चित ही, बिना प्रयास के इन्हें हासिल भी नहीं किया जा सकता है। जो भी व्यक्ति कम कीमत पर आपको महानता दिलाने का वादा करता है वह आपको निराशा के लिये तैयार करता है। सच तो यह है कि महानता कठोर परिश्रम का उत्पादन है। हम कुछ चीज़ों को प्राप्त करने के आसान तरीके तो हमेशा खोज सकते हैं पर हम किसी भी नज़रिये से देखें, सफलता की मांग है कि हम उसकी राह में खून-पसीना और आंसू बहायें।
सफलता के लिये कठोर परिश्रम की आवश्यकता होती है पर अच्छी खबर यह है कि इस कठोर परिश्रम को आनंद में भी बदला जा सकता है। अगली बार जब भी आप पायें कि आप कठोर राह की शिकायत कर रहे हैं, तब आप खुद को समझायें कि आपको कठोरता को प्रेम करना सीखना चाहिये। खुद को बतायें कि आप इतने बड़े हो चुके हैं कि ऐसा कर सकें। खुद को यह याद दिलाइये कि ऐसा करने से सपनों को हासिल करने के लिये आपको आवश्यक विकास प्राप्त होता है।
10.दूसरों की आग में ईंधन डालिये
दूसरों की नज़र में आना और छा जाना बड़ी अच्छी बात है। दूसरों से सम्मान की आकांक्षा रखना मानव स्वभाव का मूलभूत हिस्सा है। अक्सर अपने सपनों को हासिल करके हम दूसरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पर क्या दूसरों का ध्यान अपनी ओर खींचना ही हमारे सपनों का लक्ष्य है? अगर हम ईमानदारी से सोचें तो पायेंगे कि हमारे भीतर एक ऐसा व्यक्ति छुपा है जो हमारे आसपास के वातावरण से सराहना की अपेक्षा रखता है। महान कार्य करने से हमें अपेक्षित सराहना प्राप्त हो सकती है। पर हर प्रसिद्ध व्यक्ति आपको यह बात बता सकता है कि प्रसिद्ध होने के रोमांच से बढ़कर अधिक श्रेष्ठ और अधिक संतोषजनक, अधिक स्थायी वस्तु है – दूसरों को उनकी योग्यता बढ़ाने में मदद करने का संतोष।
महानता की यात्रा में आप भी यह खोज कर लेंगे। दूसरों को सफल होने में मदद करना उस कैनवास का हिस्सा बन जाता है जिस पर आपकी महानता की तस्वीर बनती है। महानता की रूपरेखा में ही यह अद्भुत लक्षण छुपा होता है : महानता छुपाकर रखने से खत्म होती है और बाँटने से बढ़ती है।
जब हम विश्वास करते हैं
👆 यह Summary है “आप भी बन सकते हैं अपने सपनों का इंसान | Become the Person You Dream of Being” by Wes Beavis Book की, यदि Detail में पढ़ना चाहते है तो इस Book को यहां से खरीद सकते है 👇