कुछ अलग करें, अमीर बनें | Dare to be Different and Grow Rich by Rainer Zitelmann Book Summary in Hindi

Kuch Alag Karein Ameer Bane | Dare to be Different and Grow Rich by Rainer Zitelmann Book Summary in Hindi

कुछ अलग करें, अमीर बनें | Dare to be Different and Grow Rich by Rainer Zitelmann Book Summary in Hindi

        💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। Kuch Alag Karein Ameer Bane by Rainer Zitelmann book असाधारण व्यक्तियों और उनकी सफलता के रहस्यों के बारे में है। ये रहस्य हमें बताते कि ऊपर चढ़ते समय इनके सामने कैसी मुश्किलें आईं और उन्होंने उन पर कैसे विजय पाई। तो इस पोस्ट में इन असाधारण व्यक्तियों की सफलता के 11 रहस्य दिए जा रहे है जिन्हे follow करके हम सभी सफलता की उचाईया छू सकते है।

1. ज़्यादा ऊँचा लक्ष्य बनाएँ

        आपके बारे में क्या है? क्या आपने जिंदगी भर उसी का लक्ष्य बनाया है, जो “संभव”, “पाने योग्य” या “Realistic” नज़र आता है? क्या आपने दूसरों की “पैर ज़मीन पर रखने” की सलाह मानी है? क्या आपने इस राय पर अमल किया है कि जो आपके पास नहीं है उसके बजाय जो आपके पास है उससे संतुष्ट होना ज़्यादा फ़ायदेमंद है? क्या आपको हमेशा बताया गया है कि “सपने सिर्फ़ छाया हैं?” अगर ऐसा है, तो इसी समय जीवन के बारे में अपने नज़रिये को बदल लें : बड़े सपने देखने और ऊँचे लक्ष्य बनाने का साहस रखें, जैसा Arnold Schwarzenegger और Dell ने किया था।

        आपको खुद को प्रेरित करना होगा कि आप सपने देखने का साहस करें और सीमाओं के बजाय अपने लिए लक्ष्य तय करें। उन लोगों की सलाह पर ध्यान न दें, जो चाहते हैं कि आप वही लक्ष्य बनाएँ, जिन्हें वे “Realistic” मानते हैं। उन लोगों की बातों को नज़रअंदाज़ कर दें, जो आपके “अतार्किक” और “असंभव” लक्ष्यों पर हँसते हैं। लेकिन यह बात हमेशा याद रखें : अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आपको दूसरों के समर्थन की ज़रूरत होती है। आप अपने दम पर ही सफल नहीं हो सकते। और दूसरों का समर्थन हासिल करने से पहले आपको एक और चीज़ जीतनी होती है – उनका विश्वास।

2. विश्वास कैसे जीतें

        ज़्यादातर लोग जानते हैं कि सफलता हासिल करने के लिए संबंध कितने महत्त्वपूर्ण होते हैं। एक representative survey में लोगों से पूछा गया कि उनके ख़्याल से अमीर बनने में सबसे महत्त्वपूर्ण घटक कौन-सा है। 5,000 लोगों में से 82% का जवाब था: “सही लोगों को जानना और संबंध बनाना।” लेकिन ज़्यादातर लोगों को यह एहसास नहीं होता कि “सही लोगों को जानना” कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसके साथ आप पैदा होते हैं। आप संबंध बनाने पर मेहनत कर सकते हैं और आपको करनी चाहिए।

        ऊँचे लक्ष्य हासिल करने के लिए आपको नेटवर्क और संबंध बनाने तथा कायम रखने होते हैं। आपको इस तरह काम करना और सोचना होता है, जिससे दूसरों का विश्वास जागे। हर सप्ताह और हर महीने कुछ समय निकालकर अपने खुद के जीवन की जाँच करें। खुद से पूछें: मैंने नए संबंध बनाने और अपने विद्यमान नेटवर्क को फैलाने के लिए क्या किया है? इसके साथ ही क्या मैंने इस तरह से काम किया है कि दूसरे मुझपर विश्वास कर सकें? यदि दोनों प्रश्नों का उत्तर हाँ है, तो आप अपने लक्ष्य हासिल करने की दिशा में अच्छी शुरुआत कर रहे हैं।

3. समस्याओं को गले लगाना सीखें

        अगली बार जब आपके सामने कोई बड़ी समस्या आए, तो चुनौती को स्वीकार करें, जैसा रॉकेफ़ेलर, काम्प्राद, बफ़े, डिज़्नी और शुल्ट्ज़ ने किया था : समस्या के भीतर छिपे अवसर की तलाश करें। आपको यह स्वीकार करना सीखना होगा कि आप जितने ज़्यादा सफल होते हैं, समस्याएँ उतनी ही ज़्यादा बड़ी होंगी। अगर हर चीज़ सुचारु चल रही है और कोई समस्या नहीं आ रही है, तो इस बात की संभावना नहीं है कि हम आगे चलकर बड़े क़दम उठा पाएँगे। केवल संकट में ही हम नई चीजें आज़माने और innovative idea खोजने के लिए विवश होते हैं।

        आप ज़्यादा बड़े लक्ष्य हासिल तभी कर पाएँगे, जब आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। स्वयं में विश्वास करने और ज़्यादा बड़े लक्ष्य तय करने का साहस विकसित करने के लिए प्रबल आत्मविश्वास एक अनिवार्य आवश्यकता है। ज़्यादा बड़ी समस्याओं को सुलझाने में माहिर बनने से आपका आत्मविश्वास मज़बूत होता है।

4. एकाग्रता

        सेल फ़ोन, ईमेल आदि के कारण आज बहुत ज़्यादा जानकारी का युग है। इसमें अपने खुद के लक्ष्य का पालन करने की सही स्थितियाँ बनाना पहले से कहीं ज़्यादा जरुरी है। अंत में, आपके पास दो ही विकल्प होते हैं : या तो आप अपने खुद के बॉस होते हैं तथा अपने लक्ष्य व प्राथमिकताएँ तय करते हैं या फिर आप दूसरों से आदेश लेते हैं। कर्मचारी के रूप में भी आपके पास शायद अपनी प्राथमिकताएँ और अपनी कार्यकारी लय को तय करने की उससे ज़्यादा स्वतंत्रता होती है, जितनी का इस्तेमाल आप वर्तमान में कर रहे हैं। अंत में, महत्त्वपूर्ण आपकी मल्टीटास्किंग की योग्यता नहीं, बल्कि वे परिणाम होते हैं, जो आप हासिल करते हैं।

        एक बार जब आप लक्ष्य के ज़्यादा क़रीब पहुँचाने वाले जरुरी घटकों को पहचान लें, तो आपको उन्हीं घटकों पर पूरा ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एकाग्रता ऐसी चीज़ नहीं है, जिसके साथ हम पैदा होते हैं – यह सीखी जा सकती है। हम सभी में एक साथ बहुत सारी चीजें करने, अपनी प्राथमिकताओं से भटक जाने और छोटी-छोटी बातों पर ध्यान केंद्रित करने की प्रवृत्ति होती है। कभी-कभार हमें एक क़दम पीछे हटकर अपने जीवन पर लंबी कड़ी नजर डालने की ज़रूरत है। खुद से पूछें: “क्या मैं सचमुच महत्त्वपूर्ण चीजें कर रहा हूँ, जो मुझे मेरे लक्ष्यों के ज़्यादा क़रीब पहुँचाएँगी? या मैं अपना समय छुटपुट गतिविधियों में बर्बाद कर रहा हूँ, जो मेरी चरम सफलता में बहुत कम योगदान देंगी या बिलकुल भी नहीं देंगी?” जो व्यक्ति दोनों तरह से एकाग्र होने में समर्थ है, यानि वह एक अकेले लक्ष्य – या सीमित लक्ष्यों पर एकाग्र हो सकता है और सारे समय इन लक्ष्यों पर शत-प्रतिशत ध्यान केंद्रित कर सकता है, सिर्फ़ वही ज़्यादा बड़े लक्ष्य हासिल कर पाएगा।

5. अलग बनने का साहस करें

        कुछ लोगों को यह मानने में मुश्किल आती है कि वे दूसरों से अलग हैं क्या आप ऐसे लोगों में से एक हैं? अगर हैं, तो इस तथ्य से साहस ग्रहण करें कि बहुत कम सफल लोग सामाजिक मानदंडों और परंपराओं में विश्वास करते हैं। दूसरी ओर, कुछ लोग दावा करते हैं कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं। इस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है। हममें से कोई भी दूसरों की राय के प्रति पूरी तरह बेपरवाह नहीं होता। कुछ लोग अस्वीकृति और नापसंदगी को झेल सकते हैं, दूसरे नहीं झेल सकते। बाद वाले लोगों में अक्सर आत्मसम्मान की कमी होती है। लेकिन यदि आप असफल लोगों वाले बहुमत की राय को अपना पैमाना बनाते हैं, तो आप भी उन्हीं जितने असफल रहेंगे। हर दूसरे व्यक्ति की तरह सोचकर और काम करके आप हर दूसरे व्यक्ति जितना ही हासिल कर पाएँगे। बहुमत से ज़्यादा ऊँचा लक्ष्य बनाने के लिए आपको स्वतंत्र सोचना सीखना चाहिए, ताकि आप स्वतंत्रतापूर्वक काम कर सकें और दूसरों से ज़्यादा हासिल कर सकें।

6. अपनी बात पर डटे रहना सीखें

        ज़्यादा ऊँचे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आपको काफ़ी दृढ़ता की ज़रूरत है। अगर आप स्वभाव से सद्भावना चाहने वाले हैं, तो आपको डटकर खड़े होना सीखना होगा। दृढ़ता आंतरिक गुण कम, हासिल की गई योग्यता ज़्यादा है। आत्मविश्वास की तरह ही, दृढ़ता भी एक मांसपेशी जैसी है, जिसे प्रशिक्षण की ज़रूरत होती है और इसे प्रशिक्षित करने का तरीक़ा है आमने-सामने के मुक़ाबले में संलग्न होना। ज़ाहिर है, इसका यह मतलब नहीं है कि आपको झगड़ा करने की ख़ातिर झगड़ा करना चाहिए।

        वाद-विवाद में समय, शक्ति और ऊर्जा खर्च होती है। सबसे बढ़कर, आपको सीखना होता है कि दूसरों को इस बात की अनुमति न दें कि वे आपको अनावश्यक झगड़ों में घसीटें। कोई दूसरा आपको एक झगड़े में शामिल करने की कोशिश कर रहा है, इसका यह मतलब नहीं है कि आपको उनके छल्ले में से होकर कूदना ही होगा। दूसरों को झगड़े खुद पर थोपने न दें और इस तरह यह तय न करने दें कि आप अपने समय और ऊर्जा का निवेश किसमें करते हैं। कई मामलों में, झगड़े से बचना ज़्यादा समझदारीपूर्ण हो सकता है और दूसरे, इससे आप अधिक महत्त्वपूर्ण वाद-विवादों के लिए अपनी शक्ति बचा लेते हैं, जो आपको उन लक्ष्यों के ज़्यादा क़रीब पहुँचाएँगे, जो आपने अपने लिए तय किए हैं।

7. कभी भी “नहीं” को अंतिम जवाब न मानें!

इन तरीको को follow करके आप “नहीं” को “हाँ” में बदल पाएंगे:

1. “नहीं” को अपरिपक्व तरीक़े से अंतिम जवाब के रूप में स्वीकार करने के बजाय इसे बातचीत की मध्यम अवस्था मानें ।

2.सामने वाले दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें। उनकी कुर्सी में बैठकर उनके नज़रिये से सामने के मुद्दे को देखें। दोनों पक्षों के हितों की पूर्ति के लिए रचनात्मक समाधानों की तलाश करें। अपनी कल्पना का इस्तेमाल करें!

3. आधे रास्ते तक जाकर सामने वाले से मिलने के लिए एक पुल बनाएँ, ताकि वे शर्मिंदा हुए बिना अपना इरादा बदल सकें। कोई भी किसी सौदे में हारना नहीं चाहता और सामने वाले को यह महसूस कराना आप पर निर्भर है कि जीत उनकी हुई है।

4. सौदेबाज़ी में जादुई शब्द है “न्यायपूर्ण ।” यदि आप सचमुच दोनों पक्षों के लिए न्यायपूर्ण समाधान पर आने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह छोटा-सा शब्द चमत्कार कर सकता है। किसी समझौते का प्रस्ताव रखें, फिर बताएँ :

“हममें से कोई भी 100 प्रतिशत खुश नहीं होगा, यह समझौते की प्रकृति है। लेकिन यह समाधान दोनों ही पक्षों के लिए न्यायपूर्ण है।”

5. सामने वाले से अपनी खुद की स्थिति और इसके प्रति अपने नज़रिये को समझने को कहें। आप उनकी कुर्सी में बैठे थे, अब उनसे अपनी कुर्सी में बैठने और अपने दृष्टिकोण से चीज़ों को देखने को कहें। अपनी स्थिति और अपने दृष्टिकोण के भावनात्मक व तार्किक पहलुओं को रेखांकित करके सामने वाले की मदद करें।

6. कई लोग अपने दिमाग़ में कोई स्पष्ट लक्ष्य तय किए बिना ही सौदेबाज़ी में बहुत “खुलेपन” से जाने की ग़लती करते हैं। सौदेबाज़ी में दाख़िल होने से पहले आपको पक्का पता होना चाहिए कि आप क्या चाहते हैं और यह भी पता होना चाहिए कि आप समझौता करने के लिए कितनी दूर तक जाने के इच्छुक हैं। सामने वाले को यह एहसास होना चाहिए कि आप अपने कहे हर शब्द को महत्त्व देते हैं।

8. अपने आंतरिक जीपीएस की प्रोग्रामिंग करें

        अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए अपने अवचेतन मन की शक्ति को सक्रिय करे। क्या आप उन कुछ लोगों में से एक हैं, जिनमें इतना अनुशासन है कि वे कई महीनों तक ऑटोजेनिक प्रशिक्षण (जर्मन मनोचिकित्सक जोहान्स हेनरिक शुल्त्स द्वारा विकसित और पहली बार 1932 में प्रकाशित एक विश्राम तकनीक है) तकनीकें सीख सकते हैं और फिर अपने आंतरिक जीपीएस में अपने लक्ष्यों की प्रोग्रामिंग करने में हर दिन उनका इस्तेमाल कर सकते हैं? या आप उन संदेहवादियों में से हैं, जो इसकी कोशिश भी नहीं करेंगे? या फिर आप उन लोगों में से हैं, जिनमें हर दिन इसका अभ्यास करने का अनुशासन नहीं होता? इस सवाल का जवाब यह तय कर सकता है कि आप अगले दस सालों में कितना हासिल करेंगे।

9. सफलता का फ़ॉर्मूला : शक्ति + प्रयोगशीलता

        अपनी कमज़ोरी पर एक आलोचनात्मक (critical) निगाह डालें : क्या आप स्टैमिना की कमी से पीड़ित हैं, क्या आप बहुत जल्दी हार मानने की प्रवृत्ति रखते हैं? या आपमें प्रयोग की इच्छा का अभाव है? जो ऊँचा लक्ष्य बना रहा है, उसके लिए पूरी तरह असफल होने के बजाय यह ज़्यादा हानिकारक हो सकता है कि वह औसत सफलता हासिल कर ले। सच्ची असफलता के बाद हर सही दिमाग़ वाला व्यक्ति यह सोचने लगेगा कि वह इससे कौन से सबक सीख सकता है और अगली बार कैसे बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। लेकिन अक्सर औसत सफलता आपको प्रयोग करने से रोक देगी। एक बार जब वे निश्चित अंश तक सफलता हासिल कर लेते हैं, तो लोगों में उससे चिपके रहने की प्रवृत्ति रहती है, जिसे वे चीजें करने का आज़माया हुआ तरीक़ा मानते हैं। वे खुद से यह पूछने की ज़हमत नहीं उठाते कि अगर वे उसे अलग तरीक़े से करते, तो क्या वे और भी ज़्यादा सफल नहीं होते।

        हल्की- सफलता के जाल में गिरने से बचने के लिए आपको जान-बूझकर अपने लक्ष्य इतने ऊँचे तय करने होते हैं, ताकि आप उन्हें तब तक हासिल करने में समर्थ न हों, जब तक कि आप चीज़ें करने का कोई नया तरीक़ा न आज़माएँ। आपको खुद को प्रयोग करने और ऐसी चीजें आज़माने के लिए विवश करना होता है, जिन्हें आपने पहले कभी नहीं आज़माया।

10. असंतोष की प्रेरक शक्ति

        आप सफलता की राह पर अपने असंतोष का दोहन प्रेरक शक्ति के रूप में कैसे कर सकते हैं? सबसे बढ़कर अपने आंतरिक जीपीएस में ज़्यादा ऊँचे और ज़्यादा महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों की “प्रोग्रामिंग” करके। एक बार जब आप अपने अवचेतन में ज़्यादा ऊँचा लक्ष्य बो देते हैं, तो आप अपनी वास्तविक स्थिति और अपने मनचाहे लक्ष्य के बीच के फ़ासले से सतत तनाव महसूस करेंगे। यह तनाव आवश्यक ऊर्जा प्रदान करेगा, जिससे आपके असंतोष को ईंधन मिलेगा और यह आपको आगे बढ़ाएगा।

        आप आज जो हैं और आपके पास आज जो है, उसमें और दूसरी तरफ़ आपके ऊँचे लक्ष्यों के बीच के फ़ासले को सिर्फ़ नए विचार सोचकर ही पाटा जा सकता है। आप केवल कड़ी मेहनत करके और “कड़ी कोशिश करके” ही अपने आर्थिक या अन्य कोई लक्ष्य हासिल नहीं करेंगे। विचार आपकी सफलता की कुंजी हैं। आपके पास जो है और आप जो चाहते हैं, उसके बीच के फ़ासले से उत्पन्न तनाव, आपकी वर्तमान स्थिति और आपने अपने आंतरिक जीपीएस में जिन लक्ष्यों की प्रोग्रामिंग की है, उनके बीच के फ़ासले से उत्पन्न तनाव वह तनाव सिर्फ़ नए विचारों से ही सुलझ सकता है, जो आपका अवचेतन आपको लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रदान कर देगा।

11. विचार जो आपको अमीर बना देंगे

        चाहे आप उद्यमी हों या कर्मचारी और चाहे आपने अपने लिए जो भी लक्ष्य तय किए हों आप कभी सफल नहीं होंगे, जब तक कि आप विचारों के महत्त्व और शक्ति को न समझ लें। दुर्भाग्य से, यह एक आम गलतफहमी है कि रचनात्मकता एक जन्मजात गुण है। हकीकत यह है कि रचनात्मकता एक ऐसी चीज है, जिसे आप प्रशिक्षित कर सकते हैं।

1. अपनी रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए आपको जो पहली चीज़ करनी है, वह यह है कि खुद को ऐसा इंसान मानना छोड़ दें, जो “बहुत रचनात्मक नहीं” है। इसके बजाय, आपको यह एहसास करना होता है कि किसी मांसपेशी की तरह ही रचनात्मकता का भी प्रशिक्षण लिया जा सकता है और इसका व्यायाम कराया जा सकता है।

2. खुद को रचनात्मक और सफल लोगों से घेरें बेहतर यह होगा कि वे आपसे कहीं ज़्यादा सफल हों! इससे आपको अपनी रचनात्मकता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

3. ज़्यादा से ज़्यादा पढ़े ख़ास तौर पर सफल और रचनात्मक लोगों के जीवन की कहानियाँ। नए विचार अक्सर जीवन के दूसरे क्षेत्रों से आपके खुद के क्षेत्र में हस्तांतरण से विकसित होते हैं। इस पुस्तक को पूरा पढ़ने के बाद इसे शुरुआत से दोबारा पढ़ें और हर अध्याय के अंत में वे विचार लिखें, जो इसे पढ़ने के बाद आपने अपने जीवन के लिए सोचे हैं।

4. “विचारों की लॉग बुक” रखना शुरू करें, जिसमें आप अपने मन में आने वाले विचारों को लिख लें। खुद को प्रशिक्षित करें कि विचार जैसे ही आपके दिमाग़ में दाख़िल हों, उसी समय आप उन्हें लिख लें – भले ही और ख़ास तौर पर अगर आपको पक्का यक़ीन न हो कि क्या वे वास्तविकता में बदल पाएँगे और कैसे बदल पाएँगे।

5. जब भी संभव हो, दिनचर्या के काम अपने स्टाफ़ को सौंपकर “चूहा दौड़” से बाहर निकलना सीखें, ताकि आप विचार विकसित करने में ज़्यादा समय और ऊर्जा लगा सकें। अध्याय 15 (“कार्यकुशलता”) में इस बारे में ज़्यादा सलाह और जानकारी दी गई है।

6. नए विचार विकसित करने के लिए वेकेशन के समय का इस्तेमाल करें। यह तभी काम करेगा, अगर आप छुट्टी पर जाते समय दिन प्रति दिन के कारोबार को पीछे छोड़ जाते हैं। मैं जब छुट्टी पर जाता हूँ, तो अपने ऑफ़िस से संपर्क करने से बचता हूँ। लेकिन हर छुट्टियों के बाद मैं जब ऑफ़िस में लौटता हूँ, तो मेरे पास विचारों से भरा नोटपैड होता है।

7. एक कोरा क़ागज़ लेकर किसी कमरे में 45 मिनट तक बैठें, जहाँ आपका ध्यान भटकाने वाली कोई चीज़ न हो। किसी विषय पर आपके मन में जो में भी विचार आएँ, उन्हें लिख लें। जब आप दूसरों के साथ विचारमंथन सूत्र करते हैं, तो विचारों की आलोचनात्मक जाँच किए बिना उन्हें इकट्ठा करें। कई बार किसी “बुरे” विचार को एक शानदार विचार में बदलने के लिए उसे बस थोड़ा सा मरोड़ने की ज़रूरत होती है! और जब किसी नए विचार की समीक्षा की बात आती है, तो आपको किसी विचार के ख़िलाफ़ तको पर सोचने से पहले उस विचार के पक्ष में कम से कम पाँच तर्क लिखने की आदत डाल लेनी चाहिए।

12. अपना प्रचार करने की कला

        आपने अपनी छवि बनाने के लिए अब तक क्या किया है? अपने सबसे स्पष्ट गुणों, योग्यताओं और अनूठे बिक्री बिंदुओं पर ज़ोर देकर और उन्हें प्रचारित करके अपनी मार्केटिंग रणनीति बनाने की कोशिश करें। यह छवि जितनी प्रबल हो, उतना ही बेहतर है। खुद के लिए एक ख़ास क्षेत्र खोजें, जहाँ पहले से कोई मौजूद न हो । अपना ध्यान एक ही मुद्दे पर पूरी तरह केंद्रित करें, जैसा इस पुस्तक के अध्याय 4 में वर्णन किया गया है।

        ज़्यादातर लोग – और ज़्यादातर कंपनियाँ भी – यह ग़लती करते हैं कि वे एक साथ बहुत से अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट बनना चाहते हैं। लेकिन खुद को प्रभावी तरीक़े से प्रचारित करने के लिए, आपको उस एक चीज़ में सचमुच – और इससे भी महत्त्वपूर्ण बात, अनूठे रूप से – उत्कृष्ट होना होता है, ताकि आप भीड़ से अलग हटकर दिखें।

13. उत्साह और आत्म-अनुशासन

        क्या कोई ऐसी चीज़ है जिसे करने में आपको इतना ज़्यादा आनंद आता है कि उसे करते वक़्त समय पंख लगाकर उड़ जाता है? क्या आपने कभी अपने शौक को आजीविका में बदलने के बारे में गंभीरता से सोचा है? यही आरनॉल्ड श्वॉज़नेगर, हाइदी क्लुम, मैडोना, कोको शनेल, स्टीव जॉब्स, बिल गेट्स, माइकल डेल और कई अन्य लोगों ने किया है : उन्होंने अपने शौक को काम में बदलकर दौलत कमाई है। यदि आपके पास एक ऐसी नौकरी है, जिसके बारे में आप सिर्फ़ आरामदेह या संतुष्ट नहीं, बल्कि उत्साही महसूस करते हैं, तो आवश्यक आत्म-अनुशासन आसानी से आएगा। अगली चीज़ जो आपको सीखनी होगी, वह है अपने जीवन और अपने काम को कार्यकुशलता से व्यवस्थित करना।

14. कार्यकुशलता

        कार्यकुशलता बढ़ाने की कुंजी यह जानना है कि आपकी कौन-सी गतिविधियाँ आपके परिणामों के लिए अति महत्त्वपूर्ण हैं। उन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें और अन्य सामान्य काम दूसरों को सौंप दें, जिनमें कम ज्ञान और रचनात्मकता की आवश्यकता हो। सबसे बढ़कर, आपको अपने प्रोजेक्टों और प्रक्रियाओं को दो हिस्सों में बाँटना सीखना चाहिए : एक हिस्सा वह, जिसमें हिस्सा वह, ज्ञान, अनुभव या रचनात्मकता की आवश्यकता है और दूसरा जिसमें इनकी आवश्यकता नहीं है। बाद वाले काम आपकी टीम के कम अनुभवी और कम सक्षम सदस्यों को सौंपे जा सकते हैं। हमेशा खुद से पूछें : “क्या मैं सचमुच एकमात्र व्यक्ति हूँ, जो यह काम कर सकता है या कोई दूसरा इसे इतनी ही अच्छी तरह या लगभग इतनी ही अच्छी तरह कर सकता है ?”

        आप कभी ज़्यादा ऊँचे लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएँगे, जब तक कि आप दूसरों को काम सौंपना नहीं सीख लेते और यह सोचना नहीं छोड़ देते, “मैं इसे खुद ही कर सकता हूँ।” हर दिन खुद से यह पूछने की आदत डालें कि आपकी कौन-सी गतिविधियाँ आपके चुने हुए लक्ष्य की दिशा में आपकी प्रगति में सचमुच योगदान देती हैं – और फिर उन पर काम शुरू कर दें। ज़ाहिर है, आप ऐसा तभी कर पाएँगे, जब आपका दिन एक के बाद एक “अत्यावश्यक” कामों से नहीं भरा होगा, जिनमें से अधिकतर तो कभी अत्यावश्यक नहीं बनते, अगर आपने उन्हें तुरंत कर दिया होता और टालमटोल में समय बर्बाद नहीं किया होता।

15. गति बेहद महत्त्वपूर्ण है

        अगर आप अपना खुद का कारोबार शुरू करने की योजना बना रहे हैं, तो ज़्यादा बड़ी और शक्तिशाली कंपनियों से ज़्यादा डरने की ज़रूरत नहीं है। जब तक आपका विचार अच्छा है और आप अपने को सही “स्थिति” में ले आते हैं, तो एक छोटी, नई, “भूखी” कंपनी प्रायः अपने प्रतिस्पर्धियों से ज़्यादा तेज़ होगी, क्योंकि पुरानी कंपनियाँ दफ्तरशाही नीतियों के दबाव से धीमी हो सकती हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि आप प्रतिस्पर्धा को कम आँकना गवारा कर सकते हैं। साथ ही आपको अनुभव के मूल्य, लंबे समय से चली आ रही परंपरा और ब्रांड की पहचान को भी नहीं भूलना है। इसका मतलब तो यह है कि आपको अपनी प्रतिस्पर्धी बढ़त के बारे में जागरूक होने और अपने लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करने की ज़रूरत है।

        भले ही आप किसी कंपनी में कर्मचारी हों, गति आपके करियर के लिए अनिवार्य है। अपने प्रोजेक्टों को समय से काफ़ी पहले पूरा करके अपने ग्राहकों और अधिकारियों को हैरान कर दें। जब आप अपनी कार्यकुशलता बढ़ा लेते हैं, तो आप जिस गति से अपना काम पूरा करते हैं, उसे बढ़ाने में कोई मुश्किल नहीं आनी चाहिए। और अगली बार जब आपके मैनेजर को किसी महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए किसी को चुनने की ज़रूरत हो, तो आप क्या सोचते हैं वह किसका विकल्प चुनेगा : उस सहकर्मी का, जो व्यस्तता के नए-नए बहाने बनाता रहता है और उस काम को निर्धारित तिथि तक पूरा भी नहीं कर पाता है? या उस व्यक्ति को, जो हो सकता है कंपनी में उतने लंबे समय तक नहीं रहा हो, लेकिन जिसने अपने काम को इतनी कार्यकुशलता से व्यवस्थित कर लिया हो कि आपके मैनेजर को भरोसा रहे कि उसे दिया कोई भी प्रोजेक्ट समय से काफ़ी पहले पूरा हो जाएगा? सुनिश्चित करें कि वह व्यक्ति आप ही हों !

16. पैसा मायने रखता है

        यदि आप अपनी खुद की आर्थिक स्थिति से नाखुश हैं, तो आप पैसे के प्रति अपने नज़रिये की समीक्षा करें। हो सकता है कि पैसे के बारे में अवचेतन नकारात्मक भावनाओं की वजह से ही आपके पास ज़रा भी या पर्याप्त पैसा नहीं है। जिन लोगों के पास आपसे ज़्यादा पैसा है, यदि आप उनसे ईर्ष्या करते हैं, तो आपको निश्चित रूप से अपना नज़रिया बदलने की ज़रूरत है। जब भी author अपने से काफ़ी बेहतर व्यक्ति से मिलते है, तो वे उसके प्रति प्रशंसा का भाव महसूस करते है – बशर्ते उसने अपना पैसा ईमानदारी और कड़ी मेहनत से कमाया हो। वे उस व्यक्ति को रोल मॉडल की तरह देखते है, जिससे वे सीख सकते है – ईर्ष्या नहीं करते है।

        यदि आप दौलत बनाना चाहते हैं, तो आपको सफल लोगो की कहानियों से मार्गदर्शन और प्रेरणा लेनी चाहिए। एक चीज़ कभी न करें। किसी क्षेत्र या नौकरी को सिर्फ़ इसलिए न चुनें, क्योंकि वहाँ salary अच्छी है या आपके हिसाब से यह आपके बायोडेटा में अच्छी दिखेगी।

17. तनाव और आराम

        एक ऐसा मानसिक नज़रिया रखना महत्त्वपूर्ण है, जो आपको कामकाज संबंधी समस्याओं से दूरी हासिल करने की अनुमति दे। तनाव न झेल पाने के कारण लोगों को कंपनी की नौकरी छोड़ते देखा गया है। Author उन्हें बताते है : “अगर आप किसी दूसरी कंपनी में कोई नई नौकरी खोजते हैं, जहाँ आपको कोई ज़िम्मेदारी लेनी होती है, तो अधिक संभावना इस बात की है कि आपके लिए कुछ नहीं बदलेगा। आप अब भी वही इंसान रहेंगे और आपका मानसिक नज़रिया भी वही रहेगा। अपने नज़रिये को बदलने के बजाय परिस्थितियों को बदलने से आपको आम तौर पर कम लाभ होता है।”

        सवाल यह है कि आप अपनी समस्याओं को अपने कितने क़रीब आने की अनुमति देते हैं। समस्याओं के बारे में सोचना अच्छी बात है, उनके बारे में चिंता करना अच्छी बात नहीं है। आप जितने ज़्यादा महत्त्वाकांक्षी होते हैं, पूरी तरह स्विच बंद करना और सारे समय “ढील देना” उतना ही ज़्यादा मुश्किल होता है। लेकिन आपको जागरूक रहना होता है कि जब तक आप यह करना नहीं सीख लेते, आप शीर्ष प्रदर्शन हासिल नहीं कर पाएँगे। यह पुस्तक ऊँचे लक्ष्य तय करने के बारे में है। लेकिन ऐसा करने के लिए आपको तनाव और आराम के बीच सही संतुलन खोजना होता है। वरना ऊँचे लक्ष्य साधने से आप बिखर जाएँगे।

        जो लोग जीवन में सबसे ज़्यादा सफल होते हैं, वे वही हैं, जो जानते हैं कि ढील कैसे देना है और खुद को ग़ैर-ज़रूरी कैसे बनाना है। चाहे आप किसी अग्रणी मैनेजर के पद पर तरक्की पाने का लक्ष्य बना रहे हों या अपनी खुद की कंपनी चला रहे हों : आप चूहा दौड़ में खुद को फँसाकर सफल नहीं होंगे या यह विश्वास करके कि आपको हर चीज़ खुद करनी है।

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