नानूगिरी के तीन नियम | Jeet Ya Haar Raho Taiyar by Dr. Ujjwal Patni in Hindi

Nanugiri Ke 3 Niyam | Jeet Ya Haar Raho Taiyar by Dr. Ujjwal Patni

Jeet Ya Haar Raho Taiyar by Dr. Ujjwal Patni in Hindi
Jeet Ya Haar Raho Taiyar by Dr. Ujjwal Patni in Hindi

        💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। इस पोस्ट में “Jeet Ya Haar Raho Taiyar by Dr. Ujjwal Patni” book से नानूगिरी के तीन नियम दिए जा रहे है अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर नानूगिरी है क्या? चलिए जान लेते है – गांधीगिरी शब्द जन-जन तक पहुँचाने वाली फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई, Ujjwal Patni ने अपनी पूरी ट्रेनिंग टीम के साथ देखी। उस फिल्म को Ujjwal Patni के साथ उनके एक मित्र नानूभाई भी देख रहे थे। नानूभाई ने बताया कि वे गांधीगिरी के सिद्धान्तो को कई सालों से पालन कर रहे हैं। जिसकी वजह से वे शांत और विवाद रहित जीवन जीते हैं। इन सिद्धांतों की वजह से उन्होंने business में भी आश्चर्यजनक तरक्की की है। वे गांधी जी के बहुत बड़े फैन थे। 
        सब कुछ खत्म हो जाने के बाद 52 साल की उम्र में साठ हजार रुपयों से शुरु करके पंद्रह करोड़ तक पहुंचे थे। उनके सिद्धांतों को Ujjwal Patni ने नाम दिया ‘नानूगिरी’। नानूगिरी के सिद्धांतों को Ujjwal Patni और उनकी टीम ने व्यक्तिगत जीवन (personal life) और कार्य क्षेत्र (work area) में अपनाना शुरू किया तो शानदार result मिलने सुरु हुए। इन सूत्रों ने Ujjwal Patni की टीम की नकारात्मक भावनाओं को कम करने में काफी मदद की। गुस्से और चिड़चिड़ेपन को भी कम करने में कुछ लोगों को मदद मिली। तो नानूगिरी के तीन उसूलों को अच्छे से समझने के लिए Ujjwal Patni ने तीन कहानियों का सहारा लिया है जो इस प्रकार है –

नानूगिरी का पहला उसूल “बहरे बनो”

        एक छोटे से गड्ढे में चार मेंढक गिर गए। सारे मेंढक उस गड्ढे के आस-पास आ गए और गिरे हुए साथियों का हौसला बढ़ाने लगे। हर तरफ से आवाजें आ रही थी – एक बार पूरी ताकत लगाकर बाहर कूदो, हो जाएगा, हिम्मत मत हारो, डटे रहो। कुछ देर तक तो मेंढको ने गड्ढे में ऊपर चढ़ने की कोशिश की, परन्तु अब वो बुरी तरह थक चुके थे।

        इतने में ऊपर से कुछ नकारात्मक सामाजिक मेंढकों ने गड्ढे में गिरे मेंढकों को समझाया। रहने दो बेटा, अब आखिरी समय में क्यों शरीर को तकलीफ देते हो, भगवान का नाम लो और मौत को भगवान की मर्जी मानकर स्वीकार कर लो। यह कहकर सभी मेंढक जोर-जोर से उनकी आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करने लगे। 
        हिम्मत हारकर कुछ ही देर में तीन मेंढकों की मृत्यु हो गई, लेकिन चौथे मेंढक ने अचानक ही पूरी ताकत लगाई और निकलकर बाहर आ गया। बाहर आकर उसने सबको हिम्मत बढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया। दूसरे मेंढकों को समझ ही नहीं आया कि उसने धन्यवाद क्यों दिया क्योंकि वो तो आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे थे। बाद में पता चला कि वो चौथा मेंढक बहरा था और जोर-जोर से प्रार्थना कर रहे दूसरों मेंढकों को देखकर उसे ऐसा लगा मानो सब उसकी हिम्मत बढ़ा रहे थे ।
        दोस्तों! ठीक उसी तरह नानूगिरी का पहला उसूल बहरे रहो हमसे कहता है कि जब भी कोई सामने नकारात्मक (negative) बात कहे, हतोत्साहित (discouraged) करे, आपकी क्षमताओं पर ऊंगली उठाए, आपका समय व्यर्थ करें तो “बहरे बन जाओ”

नानूगिरी का दूसरा उसूल “गूँगे रहो”

        तीन इंजीनियर दूसरे देश में काम करते थे। किसी बात पर वहाँ का राजा उनसे गुस्सा हो गया और उन्हें मौत की सजा सुना दी। उन इंजीनियरों ने राजा के सामने बहुत विनती की तो राजा ने कहा- मैने तो फैसला सुना दिया, अब ऊपर वाले की इच्छा होगी तो वह तुम्हें बचा लेगा। वहाँ मशीन से गर्दन काटकर मौत की सजा देने का उसूल था। निर्धारित तिथि पर जब उन्हें ले जाया जा रहा था तो उनसे सहानुभूति रखने वाले एक वरिष्ठ व्यक्ति ने कहा- चाहे जो भी हो जाए, वहाँ कुछ भी मत बोलना, गूँगे बने रहना। इंजीनियरों ने उसकी सलाह मानकर गूंगे बने रहने का निर्णय लिया।

        पहले इंजीनियर की गर्दन मशीन में रखी गई, जैसे ही बटन दबा, मशीन में से गर्दन काटने का औजार बाहर आया परन्तु गर्दन से कुछ इंच के फासले पर रुक गया। जल्लाद ने कहा कि- भगवान की मर्जी तुम्हें मारने की नहीं है, और उस इंजीनियर को छोड़ दिया। फिर दूसरे इंजीनियर की गर्दन रखी, उसमें भी औजार कुछ दूर पर रुक गया। उसे भी जल्लाद ने भगवान की मर्जी मानकर छोड़ दिया ।

        तीसरा इंजीनियर बहुत देर से यह देख रहा था, वह गूंगे रहो सिद्धान्त को भूल गया। जैसे ही उसकी गर्दन रखी गई, उसने तुरन्त जल्लाद से कहा – मूर्ख, इतनी देर से जिसे तुम भगवान की मर्जी कह रहे हो, वह मशीन की एक छोटी सी कमी (defect) है। उसने कमी बताई और जल्लाद ने तुरन्त मशीन से उसकी गर्दन काट दी।

        दोस्तों! ठीक उसी तरह नानूगिरी का दूसरा उसूल गूँगे रहो, यह कहता है कि जब भी स्थिति विवाद की बन रही हो, जब भी आपका बॉस, पति या पत्नी बहुत गुस्से में हो, उस वक्त आपका बोलना आग में घी की तरह काम करेगा, इसलिए गूँगे बन जाओ। आप सही थे परन्तु फिर भी आपने धैर्य रखा, ये बात गुस्सा उतरने के बाद सामने वाले व्यक्ति को बहुत परेशान करेगी और उसे पश्चाताप होगा। ऐसा करने से आपकी भी गरिमा बढेगी।

नानू गिरी का तीसरा उसूल “अज्ञानी रहो”

        एक गुरु के पास एक व्यक्ति आया और कहने लगा – गुरुजी, मुझे आपसे कुछ नयी बातें सीखनी है। गुरुजी ने कहा- कुछ नयी बातों का मतलब। उसने कहा- गुरुजी, लगातार अध्ययन से मैं संसार का अधिकांश ज्ञान ले चुका हूँ। फिर मैने सोचा, चलकर आपसे भी चर्चा कर लेता हूँ। यदि कुछ नया होगा तो सीख लूँगा।

        गुरुजी ने दो खाली कप और चाय की केतली मँगाई। पहले खुद के कप में चाय डाली और फिर उस व्यक्ति के कप में चाय डालनी शुरू की। गुरु जी चाय डालते गये, उसका कप भर गया और चाय बाहर गिरने लगी।

        उसने कहा- गुरुजी कप भर गया, चाय बाहर गिर रही है। गुरुजी ने कहा- जिस तरह इस भरे कप में चाय डालने से बाहर गिर रही है, यह कप अब और चाय नहीं ले सकता। ठीक इसी तरह मैं तुम्हारे भरे दिमाग में और ज्ञान कहाँ से डाल सकता हूँ। यदि ज्ञान चाहते हो तो पहले अपना दिमाग खाली कर आओ।

        दोस्तों! ठीक उसी तरह यदि आप भी जीवन में कुछ पाना चाहते है, तो अज्ञानी बन जाइए और ज्ञान को भीतर आने दीजिए। ये दुनिया ज्ञानियों से भरी पड़ी है। कुछ ज्ञानी ऐसे है जो सब कुछ जानते है, परन्तु कुछ भी जीवन में नहीं उतारते। कुछ ज्ञानी ऐसे है जो कुछ नहीं जानते परन्तु दिखावा ऐसा करते है, मानो सब कुछ जानते हैं।

        ☝ यह लिया गया है “जीत या हार रहो तैयार” By Dr. Ujjwal Patni book से। यदि detail में पढ़ना चाहते है तो इस book को यहां से खरीद सकते है 👇

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