Nanugiri Ke 3 Niyam | Jeet Ya Haar Raho Taiyar by Dr. Ujjwal Patni
Jeet Ya Haar Raho Taiyar by Dr. Ujjwal Patni in Hindi |
नानूगिरी का पहला उसूल “बहरे बनो”
एक छोटे से गड्ढे में चार मेंढक गिर गए। सारे मेंढक उस गड्ढे के आस-पास आ गए और गिरे हुए साथियों का हौसला बढ़ाने लगे। हर तरफ से आवाजें आ रही थी – एक बार पूरी ताकत लगाकर बाहर कूदो, हो जाएगा, हिम्मत मत हारो, डटे रहो। कुछ देर तक तो मेंढको ने गड्ढे में ऊपर चढ़ने की कोशिश की, परन्तु अब वो बुरी तरह थक चुके थे।
नानूगिरी का दूसरा उसूल “गूँगे रहो”
तीन इंजीनियर दूसरे देश में काम करते थे। किसी बात पर वहाँ का राजा उनसे गुस्सा हो गया और उन्हें मौत की सजा सुना दी। उन इंजीनियरों ने राजा के सामने बहुत विनती की तो राजा ने कहा- मैने तो फैसला सुना दिया, अब ऊपर वाले की इच्छा होगी तो वह तुम्हें बचा लेगा। वहाँ मशीन से गर्दन काटकर मौत की सजा देने का उसूल था। निर्धारित तिथि पर जब उन्हें ले जाया जा रहा था तो उनसे सहानुभूति रखने वाले एक वरिष्ठ व्यक्ति ने कहा- चाहे जो भी हो जाए, वहाँ कुछ भी मत बोलना, गूँगे बने रहना। इंजीनियरों ने उसकी सलाह मानकर गूंगे बने रहने का निर्णय लिया।
तीसरा इंजीनियर बहुत देर से यह देख रहा था, वह गूंगे रहो सिद्धान्त को भूल गया। जैसे ही उसकी गर्दन रखी गई, उसने तुरन्त जल्लाद से कहा – मूर्ख, इतनी देर से जिसे तुम भगवान की मर्जी कह रहे हो, वह मशीन की एक छोटी सी कमी (defect) है। उसने कमी बताई और जल्लाद ने तुरन्त मशीन से उसकी गर्दन काट दी।
दोस्तों! ठीक उसी तरह नानूगिरी का दूसरा उसूल गूँगे रहो, यह कहता है कि जब भी स्थिति विवाद की बन रही हो, जब भी आपका बॉस, पति या पत्नी बहुत गुस्से में हो, उस वक्त आपका बोलना आग में घी की तरह काम करेगा, इसलिए गूँगे बन जाओ। आप सही थे परन्तु फिर भी आपने धैर्य रखा, ये बात गुस्सा उतरने के बाद सामने वाले व्यक्ति को बहुत परेशान करेगी और उसे पश्चाताप होगा। ऐसा करने से आपकी भी गरिमा बढेगी।
नानू गिरी का तीसरा उसूल “अज्ञानी रहो”
एक गुरु के पास एक व्यक्ति आया और कहने लगा – गुरुजी, मुझे आपसे कुछ नयी बातें सीखनी है। गुरुजी ने कहा- कुछ नयी बातों का मतलब। उसने कहा- गुरुजी, लगातार अध्ययन से मैं संसार का अधिकांश ज्ञान ले चुका हूँ। फिर मैने सोचा, चलकर आपसे भी चर्चा कर लेता हूँ। यदि कुछ नया होगा तो सीख लूँगा।
गुरुजी ने दो खाली कप और चाय की केतली मँगाई। पहले खुद के कप में चाय डाली और फिर उस व्यक्ति के कप में चाय डालनी शुरू की। गुरु जी चाय डालते गये, उसका कप भर गया और चाय बाहर गिरने लगी।
उसने कहा- गुरुजी कप भर गया, चाय बाहर गिर रही है। गुरुजी ने कहा- जिस तरह इस भरे कप में चाय डालने से बाहर गिर रही है, यह कप अब और चाय नहीं ले सकता। ठीक इसी तरह मैं तुम्हारे भरे दिमाग में और ज्ञान कहाँ से डाल सकता हूँ। यदि ज्ञान चाहते हो तो पहले अपना दिमाग खाली कर आओ।
दोस्तों! ठीक उसी तरह यदि आप भी जीवन में कुछ पाना चाहते है, तो अज्ञानी बन जाइए और ज्ञान को भीतर आने दीजिए। ये दुनिया ज्ञानियों से भरी पड़ी है। कुछ ज्ञानी ऐसे है जो सब कुछ जानते है, परन्तु कुछ भी जीवन में नहीं उतारते। कुछ ज्ञानी ऐसे है जो कुछ नहीं जानते परन्तु दिखावा ऐसा करते है, मानो सब कुछ जानते हैं।
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